Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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अपभ्रंश भारती
हउं मैं,
क्रियाएँ
1.
2.
ठा=ठहरना,
ह
ह
ह
तुहुं
तुहं
SEEEEEE
सो
सा
सो
सा
सो
तुहु तुम,
सा
ठाउं / ठामि
हाउ / हामि
होउं / होमि
ठाहि ठासि
हाहि / हासि
होहि / होसि
ठाइ
ठाइ
हाइ
हाइ
होइ
होइ
हउं = मैं,
तुहुं = तुम,
सो वह ( पुरुष ) सा = वह (स्त्री)
पाठ 4
सो वह ( पुरुष ),
व्हा = नहाना,
वर्तमानकाल
सा= वह (स्त्री)
हो = होना
= मैं ठहरता हूँ / ठहरती हूँ ।
= मैं नहाता हूँ / नहाती हूँ
I
== मैं होता हूँ / होती हूँ |
उत्तम पुरुष एकवचन
मध्यम पुरुष एकवचन
}
3. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं ।
4. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं ।
= तुम ठहरते हो / ठहरती हो ।
= तुम नहाते हो / नहाती हो ।
= तुम होते हो / होती हो ।
- अन्य पुरुष एकवचन
= वह ठहरता है |
= वह ठहरती है ।
= वह नहाता है ।
= वह नहाती है ।
== वह होता है ।
= वह होती है ।
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पुरुष वाचक सर्वनाम एकवचन
अकारान्त क्रियाओं को छोड़कर प्राकारान्त, प्रोकारान्त प्रादि क्रियाओं के मध्यम पुरुष एकवचन में 'से' प्रत्यय नहीं लगता है, तथा इसी प्रकार अन्य पुरुष एकवचन में 'ए' प्रत्यय नहीं लगता है । ये दोनों प्रत्यय ( से और ए) केवल वर्तमानकाल की अकारान्त क्रियात्रों में ही लगते हैं ।