Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 107
________________ 96 अपभ्रंश भारती पाठ 3 सो वह (पुरुष), सा=वह (स्त्री) क्रियाएँ हस-हँसना, सय=सोना, रगच्च-नाचना, लुक्क छिपना, जग्ग=जागना, जीव जीना वर्तमानकाल रूस-रूसना हसह हसेइ हसए हसइ/हसेइ/हसए सयह/सयेइ/सयए सयइ/सयेइ/सयए गच्चइ/णच्चे इ/णच्चए गच्चड/णच्चेइ/णच्चए रूसइ/रूसेइ/रूसए रूसइ/रूसे इ/रूसए लुक्कइ/लुक्के इ/लुक्कए लुक्कइ/लुक्केड/लुक्कए जग्गइ/जग्गेइ/जग्गए नग्गइ/जग्गेइ/जग्गए ___जीवइ/जीवेइ/जीवए जीवइ/जीवेइ/जीवए =वह हँसता है। =वह हंसती है। =वह सोता है। =वह सोती है । =वह नाचता है। =वह नाचती है। =वह रूसता है। =वह रूसती है। =वह छिपता है। वह छिपती है। वह जागता है। =वह जागती है। =वह जीता है। =वह जीती है। 1. सो-वह (पुरुष), सा=वह (स्त्री) अन्य पुरुष एकवचन (पुरुषवाचक सर्वनाम) 2. (क) वर्तमानकाल के अन्य पुरुष एकवचन में 'इ' और 'ए' प्रत्यय क्रिया में लगते है । 'इ' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' भी हो जाता है । (ख) 'ए' प्रत्यय अकारान्त क्रियाओं में ही लगता है । आकारान्त, प्रोकारान्त, उकारान्त, आदि क्रियानों में 'ए' प्रत्यय नहीं लगेगा। ठा=ठहरना, हो-होना, हु=होना, मादि क्रियाओं में 'ए' प्रत्यय वर्तमानकाल नहीं लगेगा। (देखें पाठ 4) 3. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। 4, उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं।

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