Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 111
________________ 100 अपभ्रंश भारती पाठ 7 ते वे दोनों (पुरुष)/वे सब (पुरुष) ता=वे दोनों (स्त्रियाँ)/वे सब (स्त्रियाँ) क्रियाएं हस-हँसना, सय=सोना, रूस-रूसना, लुक्क छिपना, जीव=जीना वर्तमानकाल रगच्च-नाचना जग्ग-जागना हसहि हसन्ति/हसन्ते/हसिरे वे दोनों हँसते हैं। वे सब हंसते हैं। ता हसहि/हसन्ति/हसन्ते/हसिरे वे दोनों हँसती हैं। वे सब हँसती हैं। __ वे दोनों सोते हैं। वे सब सोते हैं। ते सहि/सयन्ति/सयन्ते/सयिरे ता सहि/सयन्ति/सयन्ते/सयिरे __ वे दोनों सोती हैं। वे सब सोती हैं। ते वे दोनों नाचते हैं। गच्चहि/णच्चन्ति/गच्चन्ते/णच्चिरे = वे सब नाचते हैं। वे ता वे दोनों नाचती हैं। गच्चहिं/गच्चन्ति/णच्चन्ते/णच्चिरे =. वे सब नाचती हैं । ते रूसहि/रूसन्ति/रूसन्ते/रूसिरे _वे दोनों रूसते हैं । वे सब रूसते हैं। _वे दोनों रूसती हैं। वे सब रूसती हैं। रूसहि/रूसन्ति/रूसन्ते रूसिरे वे दोनों छिपते हैं। लुक्कहि/लुक्कन्ति/लुक्कन्ते/लुक्किरे = वे सब छिपते हैं। वे दोनों छिपती हैं। तालुक्कहिं/लुक्कन्ति/लुक्कन्ते/लुक्किरे - वे सब छिपती हैं।

Loading...

Page Navigation
1 ... 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128