Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ अपभ्रंश भारती 43 2. का विकन्त सिरे बन्धइ फुल्लई, वत्थई परिहावेइ अमुल्लई 190 3. पुणु तिहि मि जगहुँ दरिसावियउ, सिव-साण-सिवाले हिँखावियउ 191 2.2.39 क्रमिकता-क्रियान्वयता 1. जं असहेज्जी मुक्क वणन्तरें, मुच्छउ एन्ति-जन्ति तहिँ अवसरें 2 2. रणे परिसक्कन्ति भमन्ति किह, चल चंचल विज्जुल पुंजजिह 193 3- ण जलद्द ण चन्दण कमल सेज्ज, ढुक्कन्ति जन्ति, अण्णोण्ण वेज्ज । 4 4. वट्टइ तल्लवेल्ल सत्तमयहाँ मुच्छउ एन्तिजन्ति अट्ठमयहो । 5 5. तहिँ तिणि वि कइ वि दिवस थियइँ, जिण पुज्जउ जिण-ण्हवणइं कियइं । 2.2.4 वर्धमानत्वघोतक पक्ष-मूलक्रिया के साथ सातत्यपक्ष जुड़ा होने पर इसका भान होता है । यह सातत्यपक्ष का एक विशिष्ट रूप भर है1. तिण्णि वि कण्णउ परिवढियउ, णं सुक्कइ कहउ रसवड्ढियउ । 2. जाई वि ढिल्ली होन्ताई, ताइ मि रण रस पुलउग्गयइं । णिएँ वि परोप्परु चिन्धाइं, सूहडहं कवयइँ फूटविगयइं 198 3. अभिटु परोप्परु जुज्झु घोरु, सरि सोत्त-सउत्तर पहर थोरु । छिज्जन्त महग्गय गरुअगत्त, णिवडन्त समुद्धय-घवल छत्त । 2.2.5 पौनः पुन्य घोतक पक्ष-इस 'पक्ष' के द्वारा कथन के क्षण में व्यापार के बार-बार होने की सूचना मिलती है। यह एक प्रकार से समय विस्तार का बोध है। 2.2.50 वर्तमानकालिक क्रियाभ्यास 1. लब्धइ पेसणे सामिय पसाउ, लभइ किएँ विणऍ जणाणुराउ । 100 2. साहारु ण वन्धइ एइजाइ, अरहट्टजन्ते णव घडिय णाई 1101 2.2.51 पक्ष परिमाणक क्रियाविशेषण+वर्तमान कालिक क्रियारूप 1. जेत्तिय दणु दु-जउ संभवइ, तेत्तिय पहरन्तहुँ जसु भमइ ।102 2.2.6 अभ्यासद्योतक पक्ष-सामान्यतः अभ्यासद्योतक पक्ष के लक्षण आवृत्ति, नित्यता या अनुक्रम माने जाते हैं, परन्तु जिन व्यापारों का संबंध भौतिक या मानसिक अवस्था से होता है, उन पर प्रावृत्ति, नित्यता या अनुक्रम लक्षणों को उस रूप में प्रारोपित नहीं किया जा सकता, जिस रूप में प्रावृत्तिपरक या प्रक्रियात्मक व्यापारों पर । प्रतः अभ्यासद्योतक पक्ष में अवस्था-विस्तार और सुदूरता निहित लक्षण रहता है। इसमें 'सातत्य' तथा 'वर्धमानत्व' की अपेक्षा अधिक गहनता और तीव्रता होती है। 2.2.60 बच्छोलता दुज्जण मुह इव विन्धण सीलई, विस-हल इव मुच्छावण लीलई।103

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128