Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 70
________________ अपभ्रंश-भारती 59 णं (अ) वाक्यालंकार उण्ह (उण्ह) 6/1 वि विप्र (अ)=मानो दवग्गि (दवग्गि) 6/1 विप्रोएं (विप्रोग्र) 3/1 रणं (अ)=वाक्यालंकार रणच्चिय (णच्च) भूक 1/1 महि (महि) 1/1 विविह-विरगोएं [(विविह) वि-(विणोम) 3/1] ___ण (अ)=मानो अत्थमिउ (अत्थमिम) 1/1 वि दिवायरु (दिवायर) 1/1 दुक्खें (दुक्ख) 3/1 रणं (अ)=मानो पइसरइ (पइसर) व 3/1अक रयणि (रयणि) 1/1 सइँ=सई (अ)=स्वयं सुक्खें (सुक्ख) 3/1 रत्त-पत्त [(रत्त) भूकृप्रनि-(पत्त)1/2] तरु (सरु)6/1 पवरणाकम्पिय [(पवण)+ (आकम्पिय)] [(पवण)-(प्राकम्पिय) भूकृ 1/1] केण (क) 3/1स वि (अ)=पादपूरक वहिउ (वह-+वहिप्र)→ भूकृ 1/1 गिम्भु (गिम्भ) 1/1 णं (म)=मानो जम्पिय (जम्प→जम्पिय) भूकृ 1/1 तेहए (तेहप्र)7/1वि 'अ' स्वार्थिक काले (काल)7/1 भयाउरए [(भय)+ (प्राउरए)] [(भय)-(प्राउरअ)7/1 वि 'अ' स्वार्थिक] वेण्णि (वे)1/2वि मि (अ)=ही वासएव-वलएव [(वासुएव)-(वलएव) 1/2] तरुवर-मूले [(तरु)-(वर) वि-(मूल)7/1] स-सीय [ (स) वि-(सीया)1/1] थिय (थिय) भूकृ 1/2 जोग (जोग)2/1 लएविणु (ल+ एविणु) संकृ मुणिवर [ (मुणि)-(वर) 1/1वि] जेम (अ)=की भांति ___ जलरूपी तीरों के प्रहारों से चोट पहुंचाया हुआ ग्रीष्म राजा युद्ध में (मार कर) नीचे गिरा दिया गया (1) । इसलिए मेंढक सज्जनों की तरह रोने लगे और शरारती मोर दुष्टों की तरह नाचे (2)। (ऐसा प्रतीत हो रहा था) मानो रोने के कारण नदियों ने अपने को) (आँसू रूपी जल से) भरा हो (और) मानो (वर्षा से प्राप्त) अानन्द के कारण कवि प्रसन्न हुए हों(3)। मानो कोयलें ऊँची आवाज में (बोलने के लिए) स्वतन्त्र की गई (हों) (और) मानो मोर संतोष के कारण बोले हों(4) । मानो बड़े तालाब विपुल आँसूरूपी जल से भरे हुए (हों और) मानो बड़े पर्वत हर्ष के कारण पुलकित (हों) (5)। मानो दावाग्नि के वियोग से धरती विविध विनोद के कारण नाची (हो) (6)। मानो दुःख के कारण सूर्य अस्त हुआ हो (और) मानो सुख के कारण रात स्वयं व्याप्त हो गई हो(7)। वृक्ष के पत्ते सुहावने हुए (और) पवन से हिले-डुले, मानो (उनके द्वारा) (यह) बोला गया (है) (कि) ग्रीष्म किसके द्वारा नष्ट किया गया (है)(8) ? ___ उस जैसे समय में दोनों ही भयातुर राम और लक्ष्मण सीता के सहित (उस) बड़े वृक्ष के मूल भाग में योग ग्रहण करके महामुनि की भाँति बैठ गये (9)। संकेत सूची (म) -अव्यय (इसका अर्थ= ___ लगाकर लिखा गया है) -अकर्मक क्रिया -अनियमित प्रक अनि प्राज्ञा कर्म -कर्मवाच्य (क्रिविन) -क्रिया विशेषण अव्यय (इसका अर्थ लगाकर लिखा गया है) -तुलनात्मक विशेषण -प्राज्ञा तुवि

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