Book Title: Apbhramsa Bharti 1990 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 56
________________ अपभ्रंश भारती 45 2.2.82 भूतकालिक कृदन्त+रंजक क्रिया 'पासो' 1. णिसि णिसियरिएँ प्रासि, जं गिलियउ णाई पविउ जउ उग्गिलियउ ।119 2.2.83 भूतकालिक कृदन्त 1. पुण्ण-महक्खएँ पेक्खु किह वज्जमएँ वि खम्मे घुणु लग्गउ ।120 2.3 स्थित्यात्मक पक्ष- इसमें स्थित का बोध क्रिया रूप से न होकर संपूर्ण वाक्य द्वारा होता है और विशेष अस्तित्व या स्थिति की सूचना देता है जिसकी कालावधि अनिर्धारित होती है । इसलिए इसे 'कालानुवर्तन हीनता' नाम भी दिया गया है । 121 वर्तमानकालिक अस्तित्ववाचक क्रिया में कालावधि के आदि और अंत को सीमित नहीं किया जा सकता हैं । 122 2.31 वर्तमानकालिक कृदन्त-+रंजक क्रिया अच्छ् __ 1. पहिलऍ पहरद्ध वि चिन्तमाणु, अच्छइ णिगूढ पुरिसेहि समाणु ।123 2.3.2 क्रियार्थक क्रिया--रंजक क्रिया सक्क 1. सिरिमाल धणुद्धरुरणुमुहे, दुद्धरु घरेवि ण सक्किउ सुखरेहि ।124 2.3.3 पक्ष परिमाणक1. जेत्थु पईवु तेत्थु सिंहणज्जइ, जेत्थु अणंगु तेत्थु रइ जुज्जइ । जेत्थु सरणेहु तेत्थु पणयंजलि, जेत्थु पयंगु तेत्थु किरणावलि ।125 . 2. थिय चउपासे परम जिणिन्दहों, णं तारागह पुण्णिम-चन्दहों। वइरई परिसेसिव थिय वणयर, महिस तुरंगम केसरि कुंजर ।126 2.3.4 नित्यत्व बोधक पक्ष—इससे कार्य व्यापार की प्रावृत्ति या एक अनिश्चित अवधि तक विस्तार का बोध होता है जो वर्तमानकालिक अन्वय में गृहीत रहता है । 1. जो णरवइ अस सम्माणकरु, सो पत्तिय अत्थ-समत्थहरु ।127 2. चोर-जार-अहि-वइरहुं, हुअवहुऽमरहुं, जो अवहेरि करइ णरु । सो अइरेण विणासइ, वसणु पयासइ मूलतलुक्खउ जेमतरु । 128 अपरिक्खिउ किज्जइ कज्जण वि ।129 4. णिग्गुण जइवि धम्मु परिचत्ता, ते जि बन्धु जे अवसर पत्ता 1130 गाह ण होइ एहु भल्लारउ, सव्वहं जणण-वइस वड्डारउ ।131 6. कोदीसइ अत्थमिएं सूरें । 132 7. सच्चु महन्तउ सव्वहीं पासिउ ।133 8. सुहिजे सूलु पडिकूलउ, परजें सहोयरु जो अणुअत्तइ ।134 2.4 उत्परिवर्तन घोतक पक्ष-उक्त पक्ष से किसी अन्य या प्रागत व्यापार या साधन से प्रभावित होकर परिवर्तित होने का भाव द्योतित होता है ।135 यह एक प्रकार का कर्मवाच्य है । 136 और मुख्यतः भूतकालिक कृदन्त में संग्रथित है ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128