Book Title: Anuyogdwar Sutra Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 13
________________ १२९ क्षायिक भावका निरूपण १३० क्षायोपशमिक मावका निरूपण १३१ पारिणामिक भावका निरूपण १३२ सामिपातिक मावका निरूपण १३३ द्विकादि संयोगका निरूपण १३४ द्विकादि त्रिकसंयोगज सानिपातिकमावका निरूपण १३५ चतुष्कसंयोगन सांनिपातिक मावका निरूपण १३६ पंचक संयोगन सानिपातिक भावका निरूपण १३७ सप्तनामका निरूपण १३८ कारणदर्शनपूर्वक स्वरोका निरूपण १३९ सात स्वरों के लक्षण का निरूपण १४. स्वरों के ग्राम एवं मूर्छना का निरूपण १४१ स्वर के उत्पत्ति आदि का निरूण १४२ गीत में हेय और उपादेय का निरूपण १४३ अष्ट नाम का निरूपण १४४ नव नाम का निरूपण १४५ लक्षणपूर्वक वीररस का निरूपण १४६ लक्षगपूर्वकशृंगाररप का निरूपण १४७ लक्षग सहित अद्भुनरस का निरूपण १४८ लक्षग सहित रौद्ररस का निरूपण . १४९ लक्षणपहित वीडनकरस का निरूपण ६९७-७१९ ७२०-७२५ ७३५-७४५ ७४५-७१६ ७४७-७५६ ७५७-७७२ ७७२-७८२ ७८२-७८८ ७८९-७९२ ७९२-७९८ ७९८-८०२ ८०३-८०५ ८०६-८०८ ८०८-८२१ ८२१-८२७ ८२८-८३३ ८३३-८३६ ८३६-८३९ ८३९-८४० ८४१-८४४ ८४५-८४८ समाप्त

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