Book Title: Anuyogdwar Sutra Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 12
________________ ५२७-५३२ ५३३-५३९ ५३९-५४० ५४१-५४७ ५४८-५५० ५५१-५५४ ५५५-५५६ .५५७-५६२ ५१३-५७३ ९९ विश्लोक क्षेत्रानुर्वी का निरूपण १.. कर्मलोक क्षेत्रानुपूर्वी का निरूपण १.१ कालानुपूर्वी भादि का निरूपण १०२ नैपषव्यवहारनयसंमत अर्थपद का निरूपण १०३ नेगमव्यवहारनवसंमत भासमुत्कीर्तन का निरूपण १.५ मेगाव्यवहारनयसंमत मनोपदर्शन का निरूपण १०५ समस्कार के स्वरूप का निरूपण १.६ अनुपम के स्वरूप का विरूपण १०७ क्षेबद्यार और स्पर्शनाद्वार का निरूपण १५ कालहार का निरूपण १०१ अन्तरद्वार का निरूपण ११० अनौपनिधिको कालानुपूर्वी का निरूपण १११ अपक्षनरूपण आदि का निरूपण ११२ औषनिधिको कालानुपूर्ती का निरूपण र उत्कीर्तनानुपूर्वी का निरूपण ११४ मणमानुपूर्वी का निरूपण ११५ संस्थानानुपूर्वी का निरूपण ११६ सामाचार्यानुपूर्वी का निरूपरूग ११७ भावानुपूर्वी का निरूपण ११८ उपक्रम के दूसरेभेद नाम का निरूपण ११९ एक नाम के स्वरूपका निरूपण १२० द्विनाम आदिके स्वरूपका निरूपण १२१ त्रिनाम के स्वरूपका निरूपण १२२ पर्यवनामका निरूपण १२३ प्रकारान्तरसे त्रिनामका निरूपण १२४ चतुर्नामका निरूपण १२५ पांचनामों का निरूपण १२६ छ नामों का निरूपण १२७ औदयिकादि मावों के स्वरूपका निरूपण १२८ औपशमिक भावका निरूपण ५७७-२८७ ५८७-५८८ ५८८-५८९ ५९०-६०१ -६-६०५ ६०५-६०८ ६०८-६१४ ६१४-६२३ ६२३-६२८ ६२८-६३० ६३०-६३२ ६३३-६४४ ६४५-६५५ ६५५-६६६ ६६६-६७१ ६७१-६७७ ६७७-६७९ ६७९-६८२ ६८२-६९१ ६९३-६९६

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