Book Title: Anusandhan 2003 06 SrNo 24
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसंधान-२४ तास पुत्र जेसंग मुणिउ, दोषे सोई अवगुणिउ ।
मई सुण्यु तेजु पुत्र ते तास तु ए ॥३॥ तस सुत लींबु सांभल्यु, अमृत पाहि सो गलिउ
नवि छल्यु राजु पुत्र तेहनु ए ॥४|| तास तणु सुत मांडण, ऐ तु (खैतु) सब दुख छांडण
हांडण कीरति जगमां तेहनी ए ॥५॥ समरु सुत वली तास तु, पाप न आवइ आसतु
जास तु प्रबल पूत्र ऊजल सदा ए ॥६॥ रामु अंगज तास ए, दीठइ पुहुचइ आस ए
भास ए मेघु मयगलनी परिइंए ॥७॥ राल्हण पुत्र सु सुंदरु ए, अभिनव भा(ला)गे पुरंदरू
सुरतरु सहिजु सुत सोहइ भलु ए ॥८॥ नानु निरूपम नाम ए, सोनु सो अभिराम ए
धाम ए गुण केरु गुणराज सो ए ॥९॥ कमसिंह करमी भणु, डाहाना केम गुण गणुं
अतिघणुं तोलानुं सुंदरपणुं ए ॥१०॥ मतिवंता महिराज ए, सिंधु सारइ काज ए
छज ए देवचंद तस अंगजूए ॥११॥ राजधराभिध जाण ए, गांजण विमल विनाण ए
सुजाण ए आसपाल अविनीतलि ए ॥१२॥ रंगु रतिपति रूप ए, साजन मानइ भूप ए
अनूप ए राहलु अभिनव तर्या ए ॥१३॥ सामल सहिजि सुहाकरू, सगरू सोहइ मनहरु
___ जगवरु जोमा जोड नहीं जगिइं ए ॥१४॥ आसग अनुपम सांभली, दीठइ देवसीइ रली
मनि टली आरति वाहड देखतां ए ॥१५।।
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