Book Title: Anusandhan 2003 06 SrNo 24
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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June-2003
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नल फीटी सेलडी न होवइ ईख तणइं जउ वाधइ संगि दूध गुलई जउ लीब सीचाइ तउ मीठउ न वि थाइ प्रसंगि ।१२। तिम गुरु व. । खीर सर पमुखि न हुवइ अमृत काच कमायउ रतन न होइ खारउ न टलइ समुद्र नदीयइ मोटइ वडि फल नीरस जोइ ।१३। तिम गु. । माथइ मणि निलु वहइ भुयंगम तउ हइ ते नवि निरविष हुति राम तणी सेवा करइ हणमंत लंगोटी अधिकुठं न लहंति ।१४। तिम गुरु. । इम लोकिक संबंध विचारी लोकोत्तरनी सुणजो वात चित्रई ब्रह्मदत्त समजाव्यउ विरति तणी नवि आणी धात ।१५॥ तिम गुरु. । महावीरनउ सीस जमाली तिहनइ नवि लागउ उपदेस । कालगसूरिउ कपिला दासी गोसालउ पामस्यइ क्लेश ।१६। तिम गुरु. । विष्णुकुमरना वचन सुणीनई नमुचि न मानी कांइ सीख मारणहार उदायी नृपनु बार वरस लगि पालइ दीख ।१७। तिम गुरु. ।
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