Book Title: Anusandhan 2003 06 SrNo 24
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 35
________________ 30 अनुसंधान-२४ कही धर्मवधारण वाणि हो म० दीदार कु आप इहि ठाणि हो म० । हम अच(व?)ल याति ओसवाल हो म० त्यागी था जब मइ बाल हो मः ||४|| मइ अथिर कह्या संसार हो म० ताका किउं आवइ पार हो म० । नुडलाई हमारा गाम हो म० कमासा तातका नाम हो म० ।।५।। कोडाई मेरी मात हो म० सो छांड्या कुटंब संघाथ हो म० । दान शील सुतप भाव धर्म हो म० तामइ जीवदया वडु मर्म हो म० ॥६॥ हम सीस हइ देस विदेस हो म० को पोढे को लघु वेस हो म० । तामइ नंदविजय लघुसीस हो म० तामइ १अष्टविधान नरीस हो म० ॥७॥ हम ध्यानी तपकइ तेजि हो म० हम ईश जपि मन हेजि हो म० । इम सुणी अकब्बर शाह हो म० दिल भींतरि धरत उच्छाह हो म० ॥८॥ कहि शंकर वाधिउ वान हो म० प्रतिबोध्यु वड सुलतान हो म० । जिनशासन राखी रेह हो म० जगि करुणा वूठु मेह हो म० ॥९॥ १. अष्टावधान ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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