Book Title: Anusandhan 2003 06 SrNo 24
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 82
________________ June-2003 77 २४ ६७ १०. श्रीदशार्णभद्रराजर्षि- ३ श्लोक नींबडिओ ? रलतु रळतो-कमातो आरति वेतो पीडातो अखत्र अखतरां-अक्षत्र भीषाव्यां डराव्या निसत निःसत्त्व नीमड्या नीवड्या-काम लाग्या द्राओ द्रवी गयो आगन्या आज्ञा दोहली दुःखनी परखयो परखजो-परीक्षा करजो विसराली विनश्वर-भंगुर सखर उत्तम सुंहाली सुंवाळी-सुकुमाल वहिलि वेलढुं-वहेल छत्रीआली छत्रवाळी मुडद्ध मुकुटबद्ध गुहिर गंभीर खेहई धूळथी प्रजुंज्यउं प्रयोज्यु-उपयोग मूक्यो त्रीजुं ज्ञान अवधिज्ञान विकूर्वण विकुर्वणा करवी वैक्रियलब्धिथी बनावq जम्मक सम्मक जमक शमक (चमक दमक) देखाडो-आडंबर नवेरो नवलो-नवो नवांडर्ड नमा १५ तगादो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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