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विविधकवि-विरचित-सज्झाय-श्लोकादि संग्रह
सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय
__आ प्रतिमा विविध कविओ द्वारा रचेल सज्झायो तथा श्लोकोनो संग्रह करवामां आव्यो छे. अत्यारना समयमां जेम नोंधपोथी-डायरी व. मां उपयोगी स्तोत्र-स्वतनादिनो संग्रह थाय छे, तेवो ज आ संग्रह पाटणनगरमां स्थित गणि धनवर्धनजीए पोतानी माटे करेलो छे तेवं प्रतिनी प्रान्ते लखेल पुष्पिकाथी जणाय छे.
प्रतिमां कुल १६ कृतिओ छे. तेमां बीजी कृति श्रीसमयसुंदरजी विरचित क्षमानी सज्झायमां अक्षरो पाणीने लीधे अत्यंत खराब थई गया होवाथी तेनुं संपादन कर, कठिन हतुं. माटे ते कृति अहीं प्रकाशित नथी करी. ते सिवायनी १५ कृतिओमां १२ सज्झायो तथा ३ श्लोको छे. तेमां१. खिमा पंचावन्नी श्रीलब्धिविजयजी-विरचित छे. २. नारीस्वरूपप्ररूपण-स्वाध्याय पंडित मेरु विजयना शिष्य मुनि
ऋद्धिविजयजी द्वारा विरचित छे. श्रीबलभद्रऋषि-सज्झायना कर्ता श्रावक कवि सालिग छे. संसारस्वरूप सज्झाय मुनि श्रीपद्मकुमारे रचेली छे. हितशिक्षा बोल सज्झाय श्रीहंस साधुए रचेली छे. समता-सज्झाय पंडित कमलविजयना शिष्य मुनि हेमविजयजी द्वारा विरचित छे. जीभ-सज्झायना कर्ता मुनि लावण्यसमय छे. निह्नवविचार सज्झायमा कर्तानो - कोई निर्देश नथी. केवळ सुकवि एवो निर्देश कर्यो छे. ३-मित्र-उपनय सज्झायना कर्ता वडतपगच्छमंडन आ.देवसुंदरसूरिना शिष्य आ. विजयसुंदरसूरिना शिष्य पंडित भानुमेरुना शिष्य वाचक
नयसुंदर छे. १०. श्रीदशार्णभद्रराजर्षि श्लोक
ॐ
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