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अनेकान्त है तीसरा नेत्र
का अटल नियम है। एक को दूसरे का सहारा मिलता है, इसमें कोई विरोध नहीं है। विरोध इसलिए पनपा कि सह-अस्तित्व के नियम को भुला दिया गया। विरोधी युगल साथ रह सकते हैं—यह नियम जब आंखों से ओझल हो जाता है, तब विरोध पनपता है। व्यक्ति एक ही कोण से देख पाता है।
. समाजशास्त्रियों ने यह घोषणा की कि जीवन के लिए संघर्ष अनिवार्य है, क्योंकि उन्होंने विरोधी युगलों के सहावस्थान तथा प्रतिपक्ष के सिद्धान्त को नहीं समझा। जिन्होंने सह-अस्तित्व और विरोधी युगलों के सिद्धान्त को समझा, उन्हें अनेकान्त की दृष्टि का हार्द प्राप्त हुआ और उन्होंने शाश्वत् घोषणा की कि प्रत्येक प्राणी दुसरे के लिए आलंबन बनता है, सहारा बनता है । एक पदार्थ दूसरे पदार्थ के लिए आलंबन बनता है। संघर्ष प्रकृति का नियम नहीं है, वह आरोपित है।
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