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अनेकान्त है तीसरा नेत्र
नियत होता है । चेतन नियत नहीं होता। विज्ञान ने प्राकृतिक पदार्थों के नियमों की खोज की और उनकी व्याख्या प्रस्तुत की । किन्तु वह आज तक चेतन जगत् की व्याख्या नहीं कर पाया है। क्योंकि वह नियत नहीं होता । आज एक की खोज होती है और कल वह बदल जाती है, दूसरा नियम बन जाता है । चेतन जगत् के नियमों की खोज करना बहुत बड़ी कठिनाई है ।
एक आदमी जा रहा था। एक मकान पर बहुत सारे कौए बैठे थे । उसने सोचा- यह कौओं वाला घर है। शाम को उसी रास्ते से गुजरा। देखा, मकान तो वही है पर कौआ एक भी नहीं है। कौए उड़ गए, मकान नहीं उड़ा। मकान नियत है, कैसे उड़ेगा? कौए प्राणी हैं, चेतन हैं, वे अनियत हैं, कैसे टिकेंगे ?
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प्राणी अनियत होता है, मकान नियत होता है। कौए की इच्छा होती है तो मकान पर बैठ जाता है, इच्छा होती है तो वृक्ष पर बैठ जाता है और इच्छा होती है तो उड़ जाता है । मकान स्थूल है, नियत है, वह उड़ नहीं पाता ।
स्थूल पदार्थ और सूक्ष्म पदार्थ के भी नियम एक नहीं होते । पदार्थ और प्राणीजगत् के भी नियम एक नहीं होते। हम नियमों को नहीं जानते, इसलिए असन्तुलित हो जाते हैं। हर घटना पर व्यक्ति असन्तुलित हो जाता है। इसका कारण है नियमों का अबोध । जो आदमी नियमों को नहीं जानता वह भ्रम में पड़ जाता है । वर्षा हो रही थी । मालिक ने नौकर से कहा—- देखो, घर में कहीं पानी तो नहीं घुस आया हैं । वह उठा नहीं। सोते-सोते ही बोला - मालिक ! आप चिन्ता न करें । घर की चाबी मेरे पास है । कौन अन्दर घुस सकता है ?
ताला खोलकर अन्दर आने के लिए यह नियम ठीक है । ताला खोलने के लिए चाबी जरूरी है । परन्तु क्या पानी को दरवाजा खोलना पड़ता है ? एक का नियम दूसरे पर लागू नहीं होता । स्थूल जगत् का नियम सूक्ष्म जगत् पर लागू नहीं होता । सूक्ष्म जगत् का नियम स्थूल जगत् पर लागू नहीं होता । अचेतन जगत् का नियम चेतन जगत् पर लागू नहीं होता। हम न नियति को स्वीकार करते हैं और न अनियति को स्वीकार करते हैं । एकांत स्वीकृति किसी को नहीं दी जा सकती। इस दुनियां में नियति भी है और अनियति भी है। यहां कुछ नियत है, कुछ अनियत है । नियत और अनियत का संतुलन होता है तो सारी व्यवस्थाएं ठीक चलती हैं । वे अस्त-व्यस्त नहीं होतीं। जहां केवल नियत को स्वीकार कर लिया जाता है और जब अनियत बातें सामने आती हैं तब आदमी गड़बड़ा जाता है, भ्रम में पड़ जाता है । जहां केवल अनियत की स्वीकृति होती है, वहां भी कई कठिनाइयां सामने आती है। आदमी मोह में फंस जाता है ।
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