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परिवर्तन
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के रसायन और नाड़ी - संस्थान की क्रिया भी बदल जाती है । ग्रन्थियों का स्राव भी बदल जाता है । सब कुछ बदलता है यदि हम चाहें । यह बात हृदयंगम हो जानी चाहिए कि स्वाभाविक पर्याय को बदलना हमारे वश में नहीं, शेष सारे पर्याय बदल सकते हैं ।
मनुष्य की यह धारणा हैं कि बदला नहीं जा सकता । आदत कभी नहीं बदलती । यह मिथ्या धारणा और अज्ञान हमारे विकास में बड़ी बाधा है। जो नियम नहीं है, हमने उसे नियम मान लिया है। यही धारणा है कि आदमी में बदलने की जिज्ञासा नहीं रही ।
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आदमी उड़ सकता है
एक पादरी वैज्ञानिक से बात कर रहा था। वैज्ञानिक ने कहा- आदमी आकाश में उड़ सकता है और पचास वर्ष बाद आदमी उड़ने लग जाएगा। पादरी ने कहा- तुम सर्वथा सत्य कह रहे हो । आकाश में उड़ने का अधिकार केवल देवताओं को है । आदमी आकाश में नहीं उड़ सकता । तुम आदमी के उड़ने की बात कर बाइबल तथा प्रचीन संतों का अपमान कर रहे हो । उनके कथन को झुठलाने का प्रयास कर रहे हो । जो विकास होना था वह हो चुका। जो खोज होनी थी, वह पहले ही हो चुकी है। अब कोई नई खोज नहीं हो सकती । खोज के सारे दरवाजे बन्द हैं 1
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ऐसी धारणा इसलिए हुई कि पादरी ने सोच लिया था कि केवल अतीत में ही सत्य खोजा जाता था, सारा खोजा जा चुका, अब सत्य शेष नहीं बचा है । धार्मिक लोगों ने मान्यता बना ली और इसी से चिपके बैठे रहें । वे विकास नहीं कर सके । धार्मिक जगत् पिछड़ गया ।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उसी पादरी के दो पुत्रों ने उस चर्चा के तैंतीस वर्ष पश्चात् वायुयान का आविष्कार किया और दोनों आकाश में उड़े |
परिवर्तन एक शाश्वत नियम है । जितना सत्य खोजा गया है वह केवल समुद्र में बूंद के समान है । सत्य का समुद्र भरा पड़ा है। एक बूंद को पाकर हमने मान लिया कि सारा सत्य हस्तगत हो गया । खोज पूरी हो गई । दरवाजा बन्द हो गया । किसने खोला और किसने बन्द किया ?
खोज की जिज्ञासा अनन्त हो
जैन लोग कहते हैं कि आज मोक्ष के द्वार बन्द हैं। जम्बूस्वामी ने मोक्ष के दरवाजे बन्द कर दिए। जम्बूस्वामी ने दरवाजे बन्द किए या नहीं, हमने तो सचमुच अपना दरवाजा बन्द कर दिया। किसने ताला खोला और किसने बन्द कर दिया ?
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