Book Title: Anekanta hai Tisra Netra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 146
________________ परिवर्तन १४५ 'क्या तुम ढाई लाख मुझे दे दोगे?' इतना कहते ही उस डॉक्टर का हार्ट फेल हो गया और वह वहीं मर गया।' घटना में बहने वाला आदमी बहुत दुःख पाता है। यह एक सच्चाई है। ध्यान करने वाले साधक को इस सच्चाई का भान हो जाना चाहिए। यदि ध्यान करने के बाद भी यह समझ न आए तो मान लेना चाहिए कि ध्यान सफल नहीं हो रहा है । ध्यान करने वाले का आचार, विचार, व्यवहार या दृष्टिकोण नहीं बदला है तो मान लेना चाहिए कि ध्यान में अभी प्रवेश ही नहीं हुआ है । तब ध्यान सफल होने लगता है जब आचार बदलता है, विचार और व्यवहार बदलता है, दृष्टिकोण बदलता है। सबसे बड़ी बात यह घटित होती है कि जानने की बात आगे आ जाती है और भोगने की बात पीछे रह जाती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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