Book Title: Anekanta hai Tisra Netra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 148
________________ प्रवचन १० संकेतिका १. भारतीय दर्शन निराशावादी है-यह आरोप। २. पदार्थ के प्रति जागना ही आशावादी दृष्टिकोण नहीं है । ३. दो मार्ग-थोड़े के लिए बहुत को छोड़ना । बहत के लिए थोड़े को छोड़ना। ४. पदार्थ का रास्ता है-थोड़े के लिए बहुत को छोड़ना। शान्ति का रास्ता है-बहुत के लिए थोड़े को छोड़ना। पदार्थ का मार्ग निराशा का मार्ग है। शान्ति का मार्ग आशा का मार्ग है। ६. साधना का मार्ग मीठी बातों का मार्ग नहीं है। ७. शरीर और भोजन के प्रति संतुलन का भाव। शरीर के प्रति दो कोणों का संतुलन• इमं सरीरं अणिच्चं-एक कोण। • सरीरमाहु नावत्ति-एक कोण। ن आहार के प्रति दो कोणों का संतुलन • रूखा-सूखा खाना या तपस्या करना-एक कोण । • कभी-कभी मधुर भोजन करना--एक कोण । ८. दृष्टि के परिवर्तन से अर्थ में परिवर्तन । • काल करै सो आज कर । • मा निषादी निशात्यये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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