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प्रवचन ४
संकेतिका
१. एक भाई ने पूछा-क्रोध बहुत आता है । क्या यह आदत बदल सकती
बदल सकती है अगर तीसरी आंख खुल जाए। वह तीसरी आंख है समता की। एक भाई ने पूछा-क्या पुनर्जन्म होता है ? उत्पाद और विनाश की आंख में देखोगे तो पता नहीं चलेगा।
तीसरी आंख है ध्रुवता की। यह खुल जाए तो पता चल जाएगा। ३. एक भाई ने पूछा-क्या समता या तटस्थता संभव है ?
यह संभव है, यदि तीसरी आंख खुल जाए। तीसरी आंख है—सापेक्षता
की, निश्चय और व्यवहार के समन्वय की। ४. क्या यौन परिवर्तन संभव है? क्या स्त्री का पुरुष होना और पुरुष का
स्त्री होना संभव है ? संभव है, यदि तीसरी आंख खुल जाए। यह तीसरी आंख है-व्यक्त और अव्यक्त के समन्वय की।
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