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अनेकान्त है तीसरा नेत्र हम दोषारोपण करते हैं कि व्यक्ति तटस्थ नहीं हैं। यह भी हमारी भ्रान्ति है। बुद्धि
और तर्क की सीमा में यह सब होगा। ऐसा होना स्वाभाविक है। तटस्थ न होना कोई बड़ी बात नहीं है । पक्षपात से मुक्त होने का, तटस्थ होने का, केवल एक ही उपाय है-तीसरे नेत्र का जागरण । तीसरे नेत्र का जागरण होने पर पक्षपात छूट जाता है। कोई पक्षपात कर नहीं सकता। वह धीरे-धीरे कम होता चला जाता है।
तीसरे नेत्र की जागृति का एक उपाय है-अनेकान्तदृष्टि का विकास । जब यह दृष्टि विकसित होती है तब तृतीय नेत्र उद्घाटित हो जाता है।
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