Book Title: Anekanta hai Tisra Netra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 62
________________ तीसरा नेत्र (१) ६१ सच्चाई को देखती है। उस तीसरी आंख के खुल जाने पर तीसरी जाति सामने आती है। वह न नित्य होती है और न अनित्य होती है, किन्त वह नित्यानित्य होती है। एक आदमी समानता को देखता है। एक आदमी असमानता को देखता है। किन्तु तीसरी आंख खुल जाने पर न समानता और न असमानता, किन्तु सम-असमतीसरी जाति बन जाती है। तीसरी जाति बन जाना या तीसरी आंख खुल जाना अनेकान्त का बहुत बड़ा रहस्य है । जब तक हम दो जातियों के बीच में रहेंगे तब तक हम सच्चाई को पकड़ नहीं पाएंगे और सत्य तथा मिथ्या का संघर्ष बराबर बना रहेगा। तीसरी आंख के खुल जाने पर तीसरी जाति का निर्माण करना होता है। यह जो निर्मित है, उसका दर्शन शुरू हो जाता है। अनेकान्त के आचार्य ने कहा___ "स्यान्नाशि नित्यं सदृशं विरूपं, वाच्यं न वाच्यं सदसत्तदेव।" सच्चाई है तीसरी जाति तीसरी आंख के खुल जाने पर अस्तित्व सचाई नहीं होती, नास्तित्व सचाई नहीं होती, किन्तु अस्तित्व और नास्तित्व का योग, यह तीसरी जाति सच्चाई होती है । पदार्थ को कोई वाच्य कहता है और कोई अवाच्य । कोई कहता है-यह कहा जा सकता है और कोई कहता है-यह नहीं कहा जा सकता। एक दार्शनिक-परम्परा वाच्य को लिए बैठी है और दूसरी अवाच्य के लिए बैठी है। सत्य सर्वथा अवाच्य है, अनिर्वचनीय है । सत्य को कहा नहीं जा सकता । उसका निर्वचन नहीं हो सकता। दूसरा कहता है-वह कैसा सत्य जो कहा नहीं जा सके? सत्य वाच्य होना चाहिए। एक आंख वाच्य को देखती है, दूसरी आंख अवाच्य को देखती है। तीसरी आंख जब खुलती है तब न कोई वाच्य होता है, न कोई अवाच्य होता है, किन्तु वाच्यावाच्य होता है । यही सच्चाई है। अनेकान्त की तीसरी आंख खुले बिना हम दार्शनिक और व्यावहारिक समस्याओं को नहीं सुलझा सकते । आज के विज्ञान ने अनेक प्रवृत्तियां चला रखी हैं। मनुष्य उनमें उलझा हुआ है । अनेकान्त के बिना हम उनका समाधान भी नहीं खोज सकते। क्रोध : कारण और निवारण एक भाई ने पूछा-क्या क्रोध की आदत बदली जा सकती है ? मैंने कहा-संभव है । उसने पूछा--यह कैसे संभव हो सकता है ? जो आदत बन गई वह कैसे बदली जा सकती है? यदि दृष्टिकोण शाश्वत का है तो आदमी सोचता है कि आत्मा का कुछ भी नहीं बदलता। यदि अशाश्वत का दृष्टिकोण है तो वह सोचता है कि सब कुछ बदल जाता है, शेष कुछ भी नहीं बचता। यदि तीसरी आंख खुल जाए तो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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