________________
तीसरा नेत्र (१)
में आ सकती है जब तीसरी आंख खुल जाए। अनेकान्त की आंख खुलने पर समझ में आ जाता है कि पैदा होना भी तत्त्व नहीं है, मरना भी तत्त्व नहीं है । ये दोनों तब तत्त्व बनते हैं जब ध्रुव के साथ जुड़ते हैं। शाश्वत के साथ जुड़े बिना पूरी सच्चाई नहीं बनती। जब तक पूरा चित्र सामने न हो तो, हम सच्चाई की व्याख्या नहीं कर सकते। तीसरी आंख खुले, ध्रुवता की आंख खुले। पुरुष पुरुष भी है, स्त्री भी है
एक भाई ने पूछा-लड़के लड़कियां बन जाते हैं और लड़कियां लड़के बन जाती हैं । यौन परिवर्तन होता है। क्या यह सच है ? क्या ऐसा होना संभव है ? ____ मैंने कहा-असंभव तो नहीं है। यदि हम इनको दो आंखो से देखें, तब तो बिल्कुल असंभव है। क्योंकि आज तक हमने अपनी आंखों से यही देखा है कि जो लड़का होता है, वह लड़के के रूप में ही मरता है और जो लड़की होती है, वह लड़की के रूप में ही मरती है। हमारी ये दो आंखें लड़के को लड़के के रूप में देखने से परिचित्त हैं और लड़की को लड़की के रूप में देखने से परिचित हैं। हमने अपनी आंखों से नहीं देखा कि लड़की लड़का बन गई और लड़का लड़की बन गया। इन दो आंखों से देखने पर यह यौन-परिवर्तन की बात मिथ्या है, असत्य है। वास्तविक सच्चाई को देखने के लिए तीसरी आंख अपेक्षित है । अनेकान्त की आंख अपेक्षित है। अनेकान्त की आंख से देखेंगे तो यह घटना संभव लगेगी। असंभव जैसा कुछ भी नहीं रहेगा।
कर्मशास्त्र के अनुसार वेद तीन हैं-स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुंसकवेद । प्रत्येक स्त्री और पुरुष में ये तीनों वेद पाए जाते हैं। पुरुष पुरुष है और स्त्री स्त्री है। इनमें तीनों वेद कैसे पाए जाते हैं—यह प्रश्न होता है। पुरुष पुरुष है। यह व्यक्त पर्याय है। अव्यक्त पर्याय में वह पुरुष भी है और नपुंसक भी है। कोई भी पुरुष परा परुष नहीं होता। कोई भी स्त्री पुरी स्त्री नहीं होती। प्रत्येक पुरुष स्त्री भी होता है और नपुंसक भी होता है। प्रत्येक स्त्री पुरुष भी होती है और नपंसक भी होती है। व्यक्त पर्याय के आधार पर हम पुरुष को पुरुष, स्त्री को स्त्री और नपुंसक को नपुंसक कह देते हैं । परन्तु अव्यक्त पर्याय के आधार पर प्रत्येक तीनों हैं। पुरुष स्त्री भी है, नपुंसक भी है । स्त्री पुरुष भी है, नपुंसक भी है । नपुंसक पुरुष भी है, स्त्री भी है । व्यक्त पर्याय पुरुष का हो गया तो पुरुष बन गया । व्यक्त पर्याय स्त्री का हो गया तो स्त्री बन गई। पर न जाने उस व्यक्त पर्याय के साथ कितने पुरुष स्त्रियां होते हैं, कितनी स्त्रियां पुरुष होती हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org