Book Title: Anekant 1981 Book 34 Ank 01 to 04
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 37
________________ वर्ष ३४: कि० २-३ अप्रैल-सितम्बर १९८१ त्रैमासिक शोध-पत्रिका अनकान्त इस अंक में क० विषय १. अनेकान्त महिमा २. सम्यक्त्व कौमुदी नामक रचनायें-डा. ज्योतिप्रसाद जैन ३. पर्युषण मोर दशलक्षण धर्म-श्री पाचन्द शास्त्री, नई दिल्ली ४. जैन साहित्य में विध्य प्रचल--डा. विद्याधर जोहरापुरकर ५. जैनधर्म के पांच प्रणवत-श्री विनोदकुमार तिवारी ६. बन्देलखण्ड का जैन इतिहास (माध्यमिक काल)-प्रस्तर हुसन निजामी ७. क्षमावणी-श्री पद्मवन्द्र शास्त्री, नई दिल्ली ८. जैन पोर बौद्ध प्रथमानुयोग - डा. विद्याधर जोहरापुरकर ६. प्रवाहावायधारणाः-डा. नन्दलाल जैन १०. णमोकार मंत्र-श्री बाबुलाल जैन, नई दिल्ली ११. मध्वदर्शन मोर जैनदर्शन-डा. रमेशचन्द जैन १२, श्रावक और रत्नत्रय-श्री पद्मवन्द्र शास्त्री १३. कर्म सिद्धान्त की जीवन में उपयोगिता-श्रीमती पुखराज जैन प्रकाशक वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२

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