Book Title: Anekant 1981 Book 34 Ank 01 to 04
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 93
________________ १०, वर्ष ३४, कि० ४ अठारहवीं शती के कविवर द्याननराय ने शातरस के परिपाक के लिए किया है।" धका प्रारम्भ से ही प्रयोग हुए है। जैन-हिन्दी पूजा के लगभग सभी रवयिताम्रों ने चौराई छन्द का उपयोग किया है । यह छंद जहाँ एक पोर लघुकाधिक है वहाँ इसमें मुख-गुप मोर लयता की सहन धारा प्रवाहन की प्रद्भुत क्षमता है । संदर्भ ग्रंथ सूची उपङ्कित विवेचन के प्राधार पर यह सज में कहा जा सकता है कि जैन-हिन्दी पूजा काव्य में कोई छंद का १. 'छन्दोबद्ध पदं पदम् विश्वनाथ साहित्य दर्पण ६/३२४. चौखम्बा, वाराणसी सस्करण सं० १९७० । २. सम्पा० धीरेन्द्र वर्मा आदि, हिन्दी साहित्यकोश, प्रथम प्रकाशक- ज्ञानमण्डल लिमिटेड बनारस, - भाग, संस्क० सवत् २०१५, पृष्ठ २६० । ३. प्रो० परमानद शास्त्री, श्री पिंगल पीयूष, प्रकाशकमोरियण्टल बुक डिपो, १७०५, नई सड़क दिल्ली, संस्क० १९५३ ४०, पृ० १६२ । ४. जगन्नाथ प्रसाद 'भानु', छंद: प्रभाकर, प्रकाशिका -- धर्मपत्नी स्व० बाबू जुगल किशोर, जगन्नाथ मिटिंग प्रेस बिलासपुर, सस्क० १२६० ई०, ४१ ५. (क) डा० हीरालाल अपभ्रंश के महाकाव्य, अपभ्रंश भाषा घोर साहित्य लेख प्रकाशित नागरी प्रचारिणी पत्रिका, प्र ३.४ ११२ भक्ति काव्य (ख) डा० प्रेमसागर जंग हिन्दी जंन और कवि, प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, दुर्गाकुण्ड रोड, वाराणसी-५, पृष्ठ ४३६ । ६. ( ) डा० रामसिंह तोमर, जैन साहित्य की हिन्दी साहित्य की देन, प्रेमी प्रभिनंदन ग्रंथ प्रकाशरयशपाल जैन, मंत्री प्रेमी अभिनंदन ग्रंथ समिति, टीकमगढ़ (सी० आई०) संस्क० अक्टूबर १९४६ पृष्ठ ४६० । ( ब ) डा० महेन्द्र सागर प्रचण्डिया, जैन कवियों के हिन्दी काव्य का काव्यशास्त्रीय मूल्यांकन, प्रागरा विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकृत डी०लिट्० का शोध प्रबन्ध सन् १९७५ ६०, पृष्ठ २४१ । ७. प्रादित्य प्रचण्डिया 'दीति', जैन-हिन्दी काव्य में छंदोयोजना, प्रकाशक - जंन शोध प्रकादमी, प्रागरा रोड, अलीगढ़, सन् १९७६ पृष्ठ १४ । ८. वही पृष्ठ १५ । ६. प्रादित्य प्रचण्डिया 'दीति', जंन कवियों द्वारा रचित हिन्दी पूजा काव्य की परम्परा भौर उसका प्रालोचनात्मक अध्ययन, प्रागरा विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकृत पी-एच० डी० का शोष प्रबन्ध, सन् १६७८ पृष्ठ २८३ । १० नमो ऋषभ कलाम पहार, नेमिनाथ गिरनार बिहार वासुपूज्य चंपापुर बंदो, सम्मति पावापुर प्रमिनदो - द्यानतराय, श्री निर्वाण क्षेत्र पूजा ११. रामचन्द्र श्री सम्मेद शिखर पूजा । रत्न, १२. बस्तावर रन, श्री कुंथुनाथ जिन पूजा | १३. मल्ल जी श्री क्षमावाणी पूजा । । १४. कमलनयन, श्री पंचस्याणक पूजा पाठ १५ रविमल, श्री तीस चौबीसो पूजा 1 १६. घुसुत, श्री विष्णु कुमार मुनि पूजा । १७. नेम, श्री प्रकृत्रिम चैत्यालय पूजा । १८ मुन्नालाल, श्री खण्ड गिरि क्षेत्र पूजा । १६. होराचंद, श्री विशति तीर्थकर समुच्चय पूजा २०. दीपचंद, श्री बाहुबलि पूजा । २१. डा० प्रादित्य प्रचण्डिया 'दीति', जैन कवियों द्वारा रचित हिन्दी-पूजा काव्यको परम्परा प्रोर उसका घालोचनात्मक अध्ययन, घागरा विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकृत पी-एच० डी० का शोध प्रबन्ध, सन् १६७८, पृष्ठ २०५ । पीली कोठी, घागरा रोड, लीगढ़-२०२००१ 1

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