Book Title: Anekant 1981 Book 34 Ank 01 to 04
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 83
________________ इस अंक में 3 . विषय १. अध्यात्म-पद-कवि० दौलतराम जी २. जैन परंपरानुमोदित तपः विज्ञान-डा. ज्योतिप्रसादन ३. हिन्दी साहित्य का भादिकाल, एक मूल्यांकन-डा. देवेनाकुमार जैन ४. जय-स्थाद्वाद-श्री कल्याणकुमार 'शशि' ५. जैन हिन्दी पूजा काव्य मे चौपाई छन्द-डा०मादित्य प्रचंडिया ६. सम्यक्त्व कौमुदी सम्बन्धी अन्य रचनाएं--श्री भगरचन्द नाहटा ७. अनुसन्धान में पूर्वाग्रहमुक्ति भावश्यक-डा० दरबारीलाल कोठिया ८. भ्रम-निवारण-डा० रमेशचन्द्र जैन ९. जरा सोचिए-सम्पादक १०. तीन-श्री बाब लाल (कलकत्ता वाले) ११. श्रावक के दैनिक प्राचार- श्रीमती सुषा जैन १२. शंका शल्य-श्री रत्नत्रयघारी जैन १३. जीवन्धर चम्पू में भाकिञ्चम्य-कु. राका जैन एम० ए० 000 'अनेकान्त' के स्वामित्व सम्बन्धी विवरण प्रकाशन स्थान-वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज. नई दिल्ली-२ प्रकाशक--वीर सेवा मन्दिर के निमित्त श्री रत्नत्रयधारी जैन, ८ जनपथ लेन, नई दिल्ली राष्ट्रीयता-भारतीय प्रकाशन अवधि-त्रैमासिक सम्पादक-श्री पद्मचन्द्र शास्त्री, वीर सेवा मंदिर २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ राष्ट्रीयता-भारतीय स्वामित्व-वीर सेवा मन्दिर २१, दरियागंज, नई दिल्ली-२ मैं रत्नत्रयधारी जैन, एतद् द्वारा घोषित करता हूँ कि मेरी पूर्ण जानकारी एवं विश्वास के अनुसार उपर्युक्त विवरण सत्य है। रत्नत्रयधारी जैन प्रकाशक पानीवन सदस्यता शुल्क : १०१.००० वार्षिक मूल्य : ६) इस अंक का मूल्य १ रुपया ५० पैसे विधान लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र होते हैं। यह मावश्यक नहीं कि सम्पावन मण्डल लेखक के विचारों से सहमत हो।

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