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अकबर
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की धार्मिक नीति
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धार्मिक सहिष्णु था ।
दास वंश के सुल्तानों की धार्मिक नीति :
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वस्तुत: यह कह सकते है कि वह महमूद गजनी की अपेक्षा अधिक
दास वंग के सुल्तान ही दिल्ली सल्तनत के प्रारम्भिक सुल्तान थे जिन्होंने निष्ठा पूर्वक सल्तनत की जणे मजबूत करने में योगदान दिया हन सुल्तानों में एवक अल्तमश बार बलबत ही प्रमुख थे । इनका शासन पूर्णतः इस्लामी नियमों पर ही आधारित था ।
दिल्ली सल्तनत के प्रथम शासक एवक की इस्लाम में अत्याधिक निष्ठा थी । यहां तक कि उसने अनेक हिन्दू मंदिरों को तोड़ा और मस्जिदों का निर्माण कराया । उसमें धार्मिक सहिष्णुता का अभाव था इस्लाम मैं उसका पूरा विश्वास था ।
अल्तमश का जहां तक प्रश्न है वह एवक से भी धार्मिक कटटरवा मैं आगे था । हसन निजामी बताता है कि जालोर में पहुचने पर मंदिरों का जो कि सिर उठाये थे नाम भी न रहा और कुफ्र के अन्धेरे से इस्लाम का प्रकाश चमक उठा । ६ मिनहाज भी लिखता है कि मालवा पर चढाई की ओर पेलसा के किले पर अधिकार कर लिया वहां एक मंदिर जो तीन सो वर्णों में तैयार हुआ था जो १०३ गज ऊंचा था विध्वंस कर दिया गया । ७ इस प्रकार धार्मिक दृष्टि से उत्तुतमिश इस्लाम का कटटर बनुयायी या यपि आधुनिक मुसलिम इतिहासकारो ने उसकी उदारता की प्रशंसा की है । परन्तु धार्मिक उदारता काकही विवरण नहीं दिया । वास्तविकता भी यही है कि उसने धार्मिक उद्दारता की नीति का अनुसरण नहीं किया । उसने सदेव उल्मा वर्ग का समर्थन किया जो कि सुन्नी धर्म का अनुयायी था । वह कट्टर धार्मिक मुसलमान था जो प्रतिदिन नियम पूर्वक पांच वार नमाज पढता एवम् अन्य धार्मिक कृत्य किया करता था ।
रिजवी
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आदि तुर्क कालीन भारत पृ० २७५
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