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अकबर
की धार्मिक नीति
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बौर इन राजकन्याओं ने अकबर के धार्मिक विचारों को प्रभावित किया । ६. अकबर का स्वयम् का उदार दृष्टिकोण तथा आध्यात्मिक अनुभव
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त्मिक अनुभव हुवा |
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अकबर को अपने पूर्वजों तथा शिक्षकों से तो उदार विचार मिले ही .. उसके थे । इसके अलावा उसका स्वयन का दृष्टिकोण मी उदार था । हृदय 我 यह भाव अंकुरित हो गया था कि सभी वर्गों के धर्मो के लोगों की निःस्वार्थ सेवा से बढ़ कर ईश्वर को प्रसन्न करने का कोई अन्य मार्ग नहीं है । ८ उसकी दृढ पारणा थी कि सच्चा धर्मं वही है जिसमें वर्ग, जाति, सम्प्रदाय वीर रंग रूप का मैद भाव नहीं हो उसका विश्वास था कि ईमानदारी और सच्चाई से अपने धर्म के सिद्धान्तों पर चलने वाला व्यक्ति किसी भी धर्म का मानने वाला क्यों न हो, मुक्ति प्राप्त करता है । अकबर ने अपने सैनिक अभियानों और युद्धों के दौरान भी अन्य मुसफोड़ा लिम आक्रमणकारियों के समान मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ा नहीं । परास्त नरेशों के साथ मी अभूतपूर्व उदारता का व्यवहार किया इसी बीच अकबर को दो तीन माध्यात्मिक अनुभव भी हुए जिन्होंने उसे और भी अधिक उदार बना दिया । मार्च १५७८ मै एक रात्रि को लाहौर के पास आखेट यात्रा से ध्यान मग्न अवस्था में अपने पड़ाव की और भूमि पर गिर पड़ा । ईश्वर संदेश ^^ मानकर वह स्वयम्
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इसको
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६ इस महत्वपूर्ण आध्यात्मिक जागृति
भक्ति में साष्टांग पड़ गया से अकबर धर्म में सहिष्णु और जसाम्प्रदायिक हो गया । एक अन्य स्थान पर नकुल फजल लिखता है कि एक देवी मानंद अकबर के शरीर में व्याप्त हो गया और परमात्मा के साक्षात्कार की अनुभूति से किरण फुटी । अकबर का ईश्वर से प्रत्यक्ष सम्पर्क हो गया और उसे एक नवीन वाघ्या१० जहां यह घटना घटी थी, वहां पर अकबर
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8- A1n-1-Akbari Vol. III P. P. 449-50. 9- Akba rama Vol. In P. 234-35,37.
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Akbarnama Yol. III, P. 241-45.
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