Book Title: Akbar ki Dharmik Niti
Author(s): Nina Jain
Publisher: Maharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay

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Page 147
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकबर की धार्मिक नीति इसी प्रकार अकबर नै सिसादृत्ति पर नियंत्रण छगा दिया । राणा में प्रचलित कन्या को दूर करने का प्रयास किया । वैश्यावृति को रोने बार उनकी कती हुई संस्था को कम करने के लिये रूपृथा नगर की स्थापना की और उसका नाम शैतानपुरा रखा । न सुधारों से हिन्दुओं में व्याप्त राजनीति सामाजिक व पाकिहीनता व व्यवीयता की भावना कम हो गई। इसके साथ साथ । इन प्रयाओं की समाप्ति से हिन्दुओं की सा पी सुपर गई । ५. सामाज्य में मैक - गोड का वातावरण : बाबर की उधार धार्मिक नीति से साज्य में हिन्- मुस्लिम मैल बोल का वातावरण बन गया । मुसलमान होने पर भी सादर । हिन्दुओं की अनेक प्रकार और त्योहार अपना लिये । रखने अपने समान में हिन्दू रानियां और उनकी वासियों व परिपाकिार्याहिये हिन्दू! पर्म की उपासना, पूजा, व्रत, उपवास, हवन, सुहान तथा अन्य पाकि और सामाकि कार्य करने की स्वतंत्रा दे दी । इसका प्रभाव रतवार की अन्य पुसलिम वैगर्मा और महिलाओं पर भी पड़ा । अकबर स्वया - हिन्दु सोलार रसा बन्थन, पारा, दीवाली, होडी, कांत वीर शिवरात्रि वापि मनाने गा । यह स्वयन हिन्दू रागावा मान पशहरे को दरबार करने मा था और अपने परमारियों को भी हिन्दुओं त्योहारों तथा फारसनारोके त्योहार मान के लिये प्रोता. हित करता था। बकबर ने हिन्दू राजाओं के फरोबा पल बोर छान पी ज्या पी उपना की थी। उसने स्वया बना बार बपने पुत्र का छान किया। था । जब अकबर ने अपने पुत्रों के विवाह हिन्दु राजपूत रास्मारियों के किये तब उने १ हिन्दू विवाह प्रथा अपनाई और कुछ प्रमुख मुसलिम रस्म कामी पाठन किया । इक्बर सिन्दुओं के त्योगरों विशेष र पारे For Private And Personal Use Only

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