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अकबर की थामिळ नीति
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सन १९५६ में जब अकबर राज्य सिंहासना रुक हुवा था तब उसके पास कोई निश्चित साम्राज्य नहीं था। किन्तु सन १६०५ मैं उसकी मृत्यु के समय उसने अपने उत्तराधिकारी के लिये उत्तरी भारत में विस्तृत वीर सुसंगठित राज्य छोड़ा था । यह अकबर की राजपूर्ता के प्रति सदभावना का ही परिणाम था । जहांगीर और शाहजहां का जाज्वल्यमान युग राजपा के ही सहयोग से निर्मित हुवा था । इस तरह अकबर की उदार नीति से मुगल साम्राज्य की कई पीढ़ियों को राजपूतों की सेवाप्राप्त हुई ।
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