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अकबर की धार्मिक नति
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विवश होकर इस्लाम गृहग कर लेंगे । इस्लाम स्वीकार नपरने वाले हिन्दुओं से यह कर दण्ड के रुप में लिया जाता था । पर हरलामी प्रथा का वन्त बर १४ को जजिया कर समाप्त कर दिया । इस प्रसार हस कर की समाप्ति से राज्य की नीतिबा परिवर्तन पुर । १५२ में बाबर नै खाने साम्राज्य में गुलामी प्रथा का बन्चर दिया और कगि परवार में सहस्त्रां गुहार्मा की मुक्ति की घोषणा
हम समय सिधुओं में बनेक सामाजिक योग, बनिष्ट कारी.. हाडियां और अप्रथा प्रचलित थी जैसे - मसान की बहुलता, पाठ • विवार, यह पत्नीत्व, सती प्रथा, विधवाओं की विडम्बनार बार नारपीय बीवन, नरपति, श्यावृत्ति बापि । म पो निराकरण व समाप्ति के लिये कबर ने वादेश प्रणारित किये । मदिरापान को नियंत्रति करने के लिये बाबर ने कुछ नियम लाये । मुक्त रूप से भराव का बनाना, वैसा और पीना तिमिर कर दिया । मपिरा का मूल्य कातून बारा निर्धारित कर दिया गया और साम्सना प्राप्त सराव की दुगने लोग दी गयी ।
बाल विवाह को रोकने के रिये उसने कबामा दी किडा सोलह वर्ष और लडकी का यादह वर्ष की अवस्था से पहले विवाह किया जाये । उसने पार्विवाह का निर्णय किया और इस बाताप्रबन्ध किया कि वृक्ष स्त्रियां युवकों के साथ विवाह न करें । विषया पिव -बार बतरणातीय विवाह को प्रोत्साहित किया गया।
उस साप हिन्दुओं में पति की पिता पर सती होने की प्रथा प्रपछि पी। अपर नै यत वादेश दिया किसी भी स्त्री को उसकी छया के विरुद्ध सती होने के लिये पिकान किया जाये । यदि का से कोई हिन्दु नारी बपने पति के शव के साथ सती होना पाहे वो उसे रोग न जाये।
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