Book Title: Akbar ki Dharmik Niti
Author(s): Nina Jain
Publisher: Maharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay

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Page 73
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अकबर की धार्मिक नीति www.kobatirth.org The world of existence is amenable only to kindness. No living creature deserves rejection." 25. -Q पारसी धर्माचार्य मैहरजीराणा ने सूर्य वीर वग्नि की उपासना की श्रेष्ठ बतलाया । इससे प्रभावित होकर अकबर ने सूर्य व अग्नि की पूजा प्रारम्भ कर दी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इसाइयों के प्रभात से अकबर ईसाई गिरजाघर में जाकर घुटने टेक कर व हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता था । पादरियों द्वारा सम्पादित ईसाई धार्मिक विधियों और समारोहों में सम्मिलित होता था । ईसाई पादरियों के प्रति वह इतना अधिक उदार हो गया था कि वह उन्हें आर्थिक सहायता भी देता था । सिक्ख गुरुओं के प्रभाव से अकबर ने सिखों के आदि ग्रन्थ की बहुत प्रशंसा की और पंजाब में वृषकों का लगान माफ कर दिया । इस प्रकार इन विभिन्न धर्माचार्यों ने अकबर के धार्मिक विचारों को उदार बनाने में सहयोग दिया । विभिन्न पाँच का अकबर पर जो प्रभाव पड़ा उसका विस्तृत वर्णन आगे के लिये छोड़कर यहां उपरोक्त वर्णन है बाधार पर इतना ही कि इन विभिन्न धर्मों के आचार्यों और विज्ञानों के व्दारा अकबर इस निष्कर्णं पर पहुंचा कि सभी धर्मों मैं अच्छी और सत्य काते है | इससे अकबर की धार्मिक नीति में एक नवीन बध्याय प्रारम्भ हुआ । उसने उत्कालीन धर्मो के दोषों को दूर कर एक व्यापक समन्वयवादी धर्म स्थापित करने का निश्चय किया I । -) 60 -3 For Private And Personal Use Only 24- Ain-1-Akbari Trans. by .S.Jarrett. Vol. III. P. 429.

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