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ਰਲਦ ਲੀ ਸੰਲ ਜੀਓ
momins & even ina, at noon and midnight. Hi8 majesty had al so one thousand & one Sanskrit names for the sun coll ected, & read tham dally devoutly turning towards the Sun.
मुगलहरम माह रानिया बार परिचारिका के रहने से -
अकबर ने मुगल राज महलों में अनेक हिन्दू प्रथाएँ वपनाली थी । पार्मिक कार्यों को सम्पन्न करने के लिये बालों को वामंत्रित किया जाता था ।। मुहम्मद हुसैन लिखते है कि नौरोज ( नव वारम्भ ) के समय वानन्दोत्सव करना तो हरान और तुरान की प्राचीन प्रया है ही, पर उसने उसे ले भी। सिन्दुओं की प्रथा का रंग देकर हिन्दु बना डाला । सौर और चान्द्र दोनों गगनाओं के अनुसार जब जब उसकी बात गांठ पड़ती थी, तब तब । उत्सव होता था । उस समय कुलादान भी होता था । --- पान के बीड़ा ने सब के मुंह लाल कर दिये । गोमांस, लसुन, प्याज वापि ओक प्रदार्थ ! हराम हो गये और बहुत से दूसरे पदार्थ हाल हो गये । ५
हिन्दुओं के जीव हिंसा न करने के सिद्धान्त को अदाबर ने अपना कर उसे कार्यान्वित किया । २६ मई १५६३ को उसने एक फरमान व्दारा - मथुरा, साहर, मंगोटा आदि हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ स्थानों में मोर - मारने और सभी प्रकार के बासैट करने की मनाही कर दी। गौमांस का निर्णय कर दिया गया और कहा गया कि जो कोई उसे पारेगा वह मारा जायेगा क्योंकि हिन्दू पंडितों ने यह कहा था कि गाय के मांस से अनेक प्रकार के रोग होते , वल रददी बौर गरिक होता है इत्यादि-इत्यादि
अकबर और पारसी धर्म : जरदोस्त यारा प्रचलित क पारसी लोगों ने अपनाया, जो कि जोरास्ट्रियन धर्म कहलाता है । उन दिनों नक्सारी भारत में पारसी धर्म का प्रमुख केन्द्र स्थल था । नवसारी और सूरत में रहने वाले सभी पारसी
४ - A2-badaoni- Trans. by .. Loa Vai.. II. P.332. ५ - अवानरी दरबार - पहला माग हिन्दी अनुवादक रामचन्द्र वर्मा पृ० १२१-२२
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