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अकबर
की धार्मिक नीति
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१४. अकबर ने इस्लाम के कानूनों और वादेशों को रदद कर दिया । १५. अकबर ने सूमर और कुत्ते पाले तथा चीर्ती और सूबरों के मांस की छूट दे दी । विशेष दिनों में उसने मांस खाना निषेध कर दिया । निशेध के दिनों में यदि कोई मनुष्य गाय अथवा पशुओं की हत्या करता था तो उसे दण्ड का भागी बनना पड़ता था कभी-कभी तो प्राण दण्ड की सजा दी जाती थी । २७
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१६ मुता विवाह को नियमित घोषित कर दिया गया था ।
१७. सन् १५८१-८२ के बीच अकबर के विरोधी अनेक शेखों और फकीरों को देश से निर्वासित करके कन्चार में भेज दिया गया। वहां उनकी घोड़ों का मूल्य चुकाने में बेच दिया गया । २८
बारोपों की समीक्षा :
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इस्लाम दमन के सम्बन्ध में अकबर की जो उपर्युक्त आलोचनाएँ की गयी है उनमें से कुछ तो बिलकुल निराधार है। इन आरोपों की समीक्षा हम निम्नलिखित रूप से कर सकते हैं :
१. अभी तक विधि ग्रन्थों में ऐसा कोई प्रमाण नही मिलता है जिससे यह कहा जाये कि अकबर ने नमाज पढ़ना निषिद्ध कर दिया था । केवल बदायूंनी के ग्रन्थ के बाचार पर ही हमें यह नही मान लेना चाहिये कि अकबर ने नमाज वर्जित कर दी थी । बदायूंनी कटटर मुसलमान था हो सकत है कि उसने इस लिये अकबर की आलोचना के लिये ऐसा लिखा हो । दूसरी बोर ईसाई धर्म प्रचारकों, जिन्होने कि अकबर पर सलाम दमन के आरोप लगाये है के लेखों से हमें यह ज्ञात होता है कि सर्व साधारण मुसलमान मी नित्य पांच बार नमाज पढ़ता था । सन् १५७६ में खुतबा पढ़ने के बाद
27- Al-Badaoni Trans. by W.H. Lowe Vol. II P. 331 28- Al-Badaoni Trans. by W.H. Lowe Vol. II P. 308.
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