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अकबर की धार्मिक नीति
मुल्लाओं के तथयों और कथनों को काट देते थे और बादशाह को पृथवी पर सुदा का नायब बता कर मुल्लाओं के हथियारों को कुंठित कर देते थे। बबुल फज ने अपनी बाठोमा, तर्क और बोजस्वी भागों से अनुदार साम्प्रदायिक तत्वों का विरोध किया। इससे रुढिवादी सुन्नी नेता शाही का उत्साह भंग हो गया । सूफी सिद्धान्तों ने अकबर के मस्तिक को उदार विचारों से मर दिया, वे अकबर को इस्लाम धर्म की संकीर्णता से घर ले गये और उसको विवश कर दिया कि वह पवित्र वास्तविकता की। लोज करें। ८. अकबर की सत्यान्वेषण की प्रवृत्ति -
अकबर धर्मनिष्ठ और चिन्तन शील व्यक्ति था । वह सत्य को - खोजने और पाने का इच्छा था | Eadaoni says ! From a reane of thankfulness for his past successes, he would sit many a moming alone in prayer and meditation, on a large flat stone of an 011 building which lay near the place in a lonely spot, with his head bent over his chest and gathering the bliss of early hours of daw.12 उसने धी के पौत्र में बहुरुपता का अनुभव किया वार विभिन्न सों में सत्य को पहचानने का प्रयत्न किया । जब कमी वह समय पाता वेश बदल कर माग जाता बोर यौगिर्यो, सन्तों व सन्यासियों के पास छा रहता तथा सभी माँ के सयों को जानने का प्रयास करता, उसके हृदय में बार बार यह सवाल उठा करता था कि जिसके लिये लोगों में इतना बान्दोलन हो रहा है वह धर्म क्या चीज है ? और उसका वास्तविक तत्व क्या है।
12 - A1- badaoni Trans. by .. Love Vol. IT !. 203,
Agn-1-Akbari Vol. I Trans, by 11.Blochmam second edition P. 179.
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