Book Title: Akbar ki Dharmik Niti
Author(s): Nina Jain
Publisher: Maharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay

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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ਤਨਦ ਲੀ ਸੰਨ ਜੀਓ जहर थी । उसके हदय में बार बार यह सवाल उठा करता था कि जिसो लिये लोगों में इतना आन्दोलन होता है वह धर्म चीज क्या है ? बार उसका वास्तविक तत्व क्या है ? उसके हदय में यह सवाल ठा, उसके पहले ही, इसरे शब्दों में कहें तो उसके हृदय में वास्तविक धर्म को तलाश करने की इच्छा पैदा हुई, उसके पहले ही उसके मन में मुसलमानी पर अमचि हो गई थी । इसके साथ ही उसके हृदय में हिन्दू - मुसलमानों को एक करने की भावना भी उत्पन्न हुई थी । उस इच्छा को पूर्ण करने के लिये ही उसने दीन इलाही नामक एक नये धर्म की स्थापना की पी पीर इस नवीन में हिन्दु - मुसलमानों को सम्मिलित करने का प्रयत्म किया। था । इस प्रयत्म मैं उसको बहुत कुछ सफलता भी मिली थी। .. . +++++++++++++ For Private And Personal Use Only

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