Book Title: Akbar ki Dharmik Niti
Author(s): Nina Jain
Publisher: Maharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay

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Page 59
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 30ਯਦ ਜੀ ਸੰਲ ਜੀਓ हिन्दू थी । उनका पसं उत्कृष्ट था बत : उसका विनाश नहीं किया जा सकता था। इस प्रकार हिन्दुओं को शव बनाकर न तो उनको नष्ट किया जा सकता था और न ही सुबह साम्राज्य का निर्माण सम्भव था । वह स्सा साम्राज्य स्थापित करना चाहता था जो यह संख्यक हिन्दुओं और मुसरमानों के सहयोग तथा सहायता पर, शासिता की शुभेच्छा व सदभावना पर आश्रित हो, जिसमें किसी जाति, धर्म व रंग का भेद - भाब न हो, जिसमें हिन्दुओं और मुसलमानों को समान रूप से अधिकार प्राप्त हो, तथा दोनों को ही समान सुरपा, न्याय वौर स्वतंत्रता प्राप्त हो, यही कारण था कि जब उसने देश का शासन वने हाथ में लिया, तब ऐसा रंग निकाला जिससे साधारण मारतवासी यह न समझे कि विजातीय तुर्क और विधर्मी मुसलमान कहीं से बाकर हमारा शासक बन गया है । स लिये देश के लाभ बार हित पर उसने किसी प्रकार का कोई बंधन नहीं . गाया । हिन्दुओं के सहयोग से उसका साम्राज्य एक ऐसी नदी बन गया जिसका किनारा हर जगह से घाट था । इस प्रकार राजनैतिक कारणों से प्रेरित होकर अकबर नै तलवार की नोक पर राज्य स्थापित करने और उसे चलाने तथा इस्लाम को राज्य धर्म बनाने की भावना त्याग दी बार हिन्दुओं के प्रति समान व्यवहार तथा धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई। ३. अकबर के पूर्वजों के उदार थामिक विचार - यपि अकबर भारत में विदेशी था । जैसा कि सिथ ने मी रिसा Akbar was a foreicer in India, ile had not a drop ci Indian blood in his veins, * 5 5. Smith : Akbar the great Mosul. P. 9. + + + + For Private And Personal Use Only

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