Book Title: Akbar ki Dharmik Niti
Author(s): Nina Jain
Publisher: Maharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay

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Page 39
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ਝਦ ਸੰਲ ਜੀ 27 तमाशे देखने का भी उसे शॉक था । नगाड़ा बजाने में वह दसा था । खेलो! में उसे इतनी अधिक साचि थी कि कभी- कमी तो वह रात्रि में प्रकाश करवा कर खेल करवाता था। उसने अपने बस्तबल में कई सहस्त्र ऊंटों - पोहों और हाथियों को पाल रखा था । इन विभिन्न प्रकार के वामोद • प्रमोद, बासेट, खेल - तमाशे तथा पशु पालन में सचि रखने पर मी । अकबर इनमें इता लिप्त नहीं रहता था कि वह बपो प्रशासन वीर राम काज को मूल ही जाये । इन प्रदर्शनी, पशु - युओं, खेल - तमाशी बादि। के बीच मी अकबर वपनी समस्याओं पर मनन वार चिन्तन करता रहता था। अकबर का दैनिक जीवन बड़ा ही संयमित था । उसकी जादते सी थी - साथी, संयमित बोर गौरव शाली तथा गम्भीर थी । वह बहुत कम सोता था । जहांगीर ने लिखा " वे रात भर जगा करते थे, दिन ! में कम सोते थे । दिन और रात में मिला कर डेढ़ पहर से अधिक नहीं सोया करते थे । वे रात्रि जागरग को अपनी बायु की वृद्धि के समान मानते थे ।" इसी प्रकार स्मिथ ने भी लिखा है कि - Ho aopt little and 11 statuzy, sel dom more than three hours in the night time, the hours which he kept must have been dreadfully trying to the Courto * 9 समय का सदुपयोग बह बड़ी सावधानी से करता था और दिन में राजकार्य और राजसमा में व्यस्त रहता था । वह अपना समय दार्शनिकों, विद्वानों और थांबायाँ के सत्संग में व्यतीत करता था । अनेक बार वह एकान्त में बैठकर बाध्यात्मिक समस्याओं पर चिन्तन और मनन भी किया करता 6- एस.वार. शर्मा हिन्दी अनुवादक मथुरालाल शर्मा - मारत में मुगल साम्राज्य - पृष्ठ - ३. 9- Smith ! Akbar the great Mosal. P. 340. For Private And Personal Use Only

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