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ਸੰਸ਼ ਰਿ
अकबर के पूर्वजों की धार्मिक नीति (खण्ड)
अकबर का जन्म मध्य एशिया के जर्ज बादशाह अमीर तरलंग की सातवीं पीढ़ी में हुवा था । पितृ पा में वह तैमूर से सम्बन्धित था। उसके पितामह बाबर की माता तेरहवी सदी के प्रसिद्ध मध्य एशिया के बांतक वादी मंगोल चंगेज खां के वितीय पुत्र चगताई से उत्पन्न मंगोल के खान यूनुस खां की पुत्री थी । अकबर के पिता हुमायू ने रान के निवासी अली अकबर जामी की पुत्री हमीदा वानू से विवाह किया था और इसी ! हमीदा बानू बेगम से अकबर का जन्म हुवा था । इस तरह अकबर के पूर्वज मध्य एशिया व ईरान ने सम्बन्धित थे । यपपि चंगेज खां व तैमूर लंग में धार्मिक कटटरता का अभाव था । वे समयानुकूल धार्मिक कृत्य करते थे, लेकिन यहां हम उनकी धार्मिक नीति का विवेचन न कर के अकबर के पितामह बाबर और पिता हुमांयू की धार्मिक नीति का ही वर्णन करेगे बाबर की पार्मिक नीति :
ययपि बाबर एक कटटर सुन्नी मुसलमान था लेकिन इसका यह तात्पर्य नही कि उसमें धार्मिक कटटरता थी । सुन्नी मत के प्रति उसकी वा बौर विश्वास ने उसे दूसरे मतपय के लोर्गा से मित्रता करने से नहीं रोका । वह नियम पूर्वक रोजे रखता था, नमाज पढ़ता था तथा वन्य धार्मिक रीति रिवाजों का पालन करता था । वह शराब का शौकीन अवश्य था लेकिन अपने बेटे हुमांय की तरह वह नशे का गुलाम नहीं था। ईश्वर के प्रति उसका इतना बटूट विश्वास था कि उसे ईश्वर पुत्र" ठीक ही कहा गया है । वह कहा करता था"श्वर की इच्छा के बिना कुछ पी नही हो सकता, उसकी शरण में रह कर हम वागे बढ़ना चाहिये।
१. ए. ल. श्रीवास्तव - मुगल कालीन भारत पृष्ठ ४३
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