Book Title: Akbar ki Dharmik Niti
Author(s): Nina Jain
Publisher: Maharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अकबर ६ - की धार्मिक नीति 19 - के विरूद्ध भी उसने ऐसा ही धर्मं युद्ध लड़ा था और चन्देरी से उत्तर पश्चिम की बोर एक पहाड़ी सिरे पर काफिरों के सिरों का मीनारा बनवाया । बाबर किस निर्दयता के साथ लुटेरों का दमन किया करता था इसका अहमद यादगार ने वर्णन किया है । जब वह सरहिन्द पहुंचा तो माना के काजियों में से एक ने यह शिकायत की कि मोहन सुन्दाहर ने उसकी सम्पत्ति पर आक्रमण किया है, उसको जला दिया है और उसके लड़के को मार डाला है। इस पर विश्व विजेता बादशाह ने अली कुली हमदानी को तीन हजार घुड़ सवारों के साथ बदला लेने के लिये नियुक्त किया और आदेश दिया कि मुन्दाहिर ने प्रार्थी के साथ जो दुर्व्यवहार किया है और उसको जो हानि पहुंचाई है उसका पूरा पूरा बदला लिया जाय । मुन्दाहिर के लगभग एक हजार आदमी मारे गये और एक हजार आदमी औरते और बच्चे बंदी बना लिये गये । बहुत हत्याएं की गई । कटे हुऐ सिरों का ढेर लग गया बोर मोहन मुन्दाहिर को जीता पकड़ लिया गया । ६ चाहे बाबर में अनेक गुप्ण थे लेकिन था तो वह एक मुसलमान बादशाह । यही कारण है कि बन्देरी में राजपूतों के आत्म बलिदान के विषय में उसने कहा था कि वे सब नर्क में पहुंच गये पश्चाताप करने के बाद जब उसने तमगा नामक कर उठाया तो उससे केवल मुसलमान ही मुक्त किये गये थे हिन्दू नहीं । वयोध्या मैं उसने अपनी मस्जिद ऐसे स्थान पर निर्माण करायी थी जिसे श्री राम चन्द्र जी का जन्म स्थान मान, लाख हिन्दू पूजते थे । ७ बाबर की इस नीति के कारण भोपाल के हस्तलिखित www.kobatirth.org ए.. श्रीवास्तव एस. बार शर्मा - हिन्दी अनुवादक - मथुरालाल शर्मा भारत में मुगल साम्राज्य पृष्ठ ४२-४३ मुगल कालीन भारत पृष्ठ ४४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - For Private And Personal Use Only 16

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