Book Title: Agam Sutra Satik 10 Prashnavyakarana AngSutra 10
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 52
________________ द्वारं-१, अध्ययनं ३, ४०५ वेरदिठ्ठिकुद्धचिट्ठियतिवलीकुडिलभिउडिकयनिलाडे बहपरिणयनरसहस्सविक्कमवियंभियपबले वग्गंततुरगरहपहावियसमरभडा आवडियछेयलाघवपहारसाधिता समूसवियबाहुजुयलं मुक्कट्टहासपुक्कतबोलबहुले फलफलगावरणगहियगयवरपत्थितदरियभडखलपरोप्परपलग्गजुद्धगव्वि तविउसितवरासिरोसतुरिय अभिमुपहरितछिन्नकरिकरविभंगितकरे अवइट्ठनिसुद्धभित्रफालियपगलियरुहिरकतभूमिकद्दमचिलिचिल्लपहे कुच्छिदालियगलिंतरुलिंतनिभेल्लंतंतफ रुफुरंतऽ विगलमम्माहयविकयगाढदिन्नपहारमुच्चितंरुलंतवेंभलविलाबकलुणे हयजोहभमंततुरगउद्दाममत्तकुंजरपरिसंकितजणनिब्बुकच्छिन्नधयभग्गर हवरनट्ठसिरकरिकलेवरात्रि- पतितपहरणाविकिनाभरणभूमिभागे नञ्चंतकबंधपउउरभयंकर वायस परिलेंत गिद्धमंडल - भमंतच्छायं धाकारगंभीरे वसुवसुहविकंपितव्व पञ्चक्खपिउवणं परमरुद्दबीहणणं दुष्पवेसतरगं अभिवयंति संगामसंकडं परधणं महंता अवरे पाइक्कचोरसंघा सेणावतिचोरवंदपागढिका य अडवीदेसदुग्गवासी कालहरित - रत्तपीतसुकिल्ल अणेगसयचिंधपट्टबद्धा परविसए अभिहणंति लुद्धा धनस्स कज्जे रयणागरसागरं उम्मीसहस्समालाउलाकुलवितोयपोतकलकलेंतकलियं -पायालसहस्सवायवसवेगसलिलउद्धम्भमाणदगरयरयंधकारं वरफेणपउरधवलपुलंपुलसमुट्ठियवहाi मारुयविच्छुभमाणपाणियजलमालुप्पीलहुलियं अविय समंतओ खुभियलुलियखोखुब्भमाणपक्खलियचलियविपुलजलचक्कवालमहानईवेगतुरिय आपूरमाणगंभीरविपुल आवत्तचवलभममाणगुप्पमाणुच्छलंतपच्चोणियत्तपाणियपधावियखरफरूसप यंडवाउलियस लिलफुट्टंतवीतिकल्लोलसंकुलं महामगरमच्छकच्छभोहारगाहतिमिसुंसुमारसावयसमाहयसमुद्धायमाणकपूरघोरपडरं कायरजणहिययकंपण घोरमारसंतं महब्भयं भयंकरं पतिभयं उत्तासणगं अनोरपारं आगासं चेव निरवलंबं उप्पाइयपवणघणितनोल्लियउवरुवरितरंगदरियअतिवेगवेगचक्खुप हमुच्छरंतकच्छइगंभीरविपुलगज्जियगुंजियनिग्धायगरुयनिवतितसुदीहनीहारिदूरसुतगंभीरघुगुधुगंतसद्द पडिपहरुभंतजक्खरक्खसकुहंडपिसायरुसियतज्जायउ- वसग्गासहस्ससंकुलं बहूप्पाइयभूयं विरचितबलहोमधूवउवचारदिन्नधिरचणाकरणपयतजोगपययचरियं परियन्तजुगंतकालकष्पोवमं दुरंतमहानईनईवईमहाभीमदरिसणिज्जं दुरणुच्चरं विसमप्यवेसं दुक्खुत्तारं दुरासयं लवणसलिलपुण्णं असियसियसमूसियगेहि हत्थतरकेहिं वाहणेहिं अइवइत्ता समुद्दमज्झे हणंति गंतूण जणस्स पोते परदव्वहरा नरा निरणुकंपा निरावयक्खा गामागरनगरखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमणिगमजणवते य धणसमिद्धे हणंति थिरहिययछिन्नलज्जा दिग्गहगोग्गहे य गेहंति दारुणमती णिक्किवा णियं हणंति छिंदंति गेहसंधि निक्खित्ताणि यहरति धणधन्नदव्वजायाणि जणवयकुलाणं निग्घिणमती परस्स दव्वाहिं जे अविरया, तहेव केई अदिन्नादाणं गवेसमाणा कालाकालेसु संचरंता चियकापज्जलियसरसदरदड्ढकड्डियकलेवरे रुहिरलित्तवयणअखतखातियपीतडाइणिभमंतभयकरं जंबुयक्खिक्खियंते धूयकयघोरसद्दे वेयालुट्ठियनिसुद्धकहकहितपहसितबहणकनिरभिरामे अतिदुब्भिगंधबीभच्छरदसणिजे सुसाणवणसुन्नघरलेण अंतरावणगिरिकंदरविसमसावय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192