Book Title: Agam Sutra Satik 10 Prashnavyakarana AngSutra 10
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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द्वारं-9, अध्ययनं ३,
४१३
मण'त्ति नित्यं - सदा आविल - सकालुष्यमाकुलं या दुःखं - प्राणिनां दुःखहेतुः अनिवृत्ति-स्वास्थ्यरहितं मनो येषां ते तथ, इहलोक एव क्लिश्यमानाः परद्रव्यहरा नरा व्यसनशतसमापन्ना एतानि व्यक्तानीति । अथ 'तहेवे' त्यादिना परधनहरणे फलद्वारमुच्यते
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मू. (१६) तहेव केइ परस्स दव्वं गवेसमाणा गहिता य हया यद्धरुद्धा य तुरियं अतिघाडिया पुरवंर समप्पिया चोरग्गहचारभडचाडुकराण तेहि य कप्पडप्पहारनिद्दय आरक्खियखरफरुसवयणतज्जणगलच्छल्लुच्छलल्लाणाहिं विमणा चारगवसहिं पवेसिया निरयवसहिसरिसं तत्थवि गोमियप्पहारदूमणनिब्भच्छणकडुयवदणभेसणगभयाभिभूया अक्खित्तनियंसणा मलिनंदडिखंडनिवसणा उक्कोडालंचापसमग्गणपरायणेहिं
[ दुक्खसमुदीरणेहिं] गोम्मियभडेहिं विविहेकिं बंधणेहिं, किं ते?, हडिनिगडवालरज्जुयकुदंडगवरत्तलोहसंकलहत्थंदुयबज्झपट्टदामकणिक्कोडणेहिं अनेहि य एवमादिएहिं गोम्मिकभंडोवकरणेहिं दुक्खसमुदीरणेहिं संकोडमोडणाहिं बज्झति मंदपुत्रा संपुडकवाडलोहपंजरभूमिधरनिरोहकूवचारगकीलगजूयचक्कविततबंधणखंभालणउद्धचलणबंधणविहम्माणाहि य विहेडयन्ता अवकोडकगाढउरसिरबद्ध उद्धपूरितफुरंतउरकडगमोडणामेडणाहिं बद्धा य नीससंता सीसावेढउरुयावलचप्पडगसंधिबंधणतत्तसलागसूइयाकोडणाणि तच्छणविमाणणाणि य खारकडुयतित्तनावणजायणाकारणसयाणि बहुयाणि पावियंता उरक्खोडीदिनगाढपेल्लण अडिकसंभग्गसुपंसुलीगा गलकालकलोहदंड उर उदरवत अधिपरिपीलिता मच्छंत -हिययसंचुण्णियंगमंगा आणत्तीकिंकरेहिं केति अविराहिय वेरिएहिं जमपुरिससन्निहेहिं पहया ते तत्थ मंदपुण्णा चडवेलावज्झपट्ट्पाराइंछिवकसलतवरत्तनेत्तप्पहारसयतालियंगमंगा
किवणा लंबंतचम्मवणवेयणविमुहिय- मणा घणकोट्टिमनियलज्यलसंकोडियमोडिया य कीरंति निरुच्चारा एया अन्ना य एवमादीओ वेयणाओ पावा पार्श्वेति अदन्तिंदिया वसट्टा बहुमोहमोहिया परधणंमि लुद्धा फासिंदियविसयतिव्वगिद्धा इत्थिंगयरूवसद्दरसगंधइट्ठरतिमहितभोगतन्हाइया य धणतोसगा गहिया य जे नरगणा पुणरवि ते कम्मदुब्वियद्धा उवणीया रायकिंकराण तेसिं वह सत्यगपाढयाणं विलउतीकारकाणं लंचसयगेण्हगाणं कूडकवडमायानियडिआयरणपणिहिवचणविसारयाणं बहुवि अलियसतजंपकाणं परलोकपरम्मुहाणं निरयगतिगामियाणं तेहि य आणत्तजीयदंडा तुरियं उग्धाडिया पुरवरे सिंघाडगतियचउक्कचचरचउम्मुहमहापहपहेसु वेत्तदंडलउडकडलेडुप-त्थरपणालिपणोल्लिमुट्टिलयापादपण्डिजाणुकोप्परपहारसंभग्गमहियगत्ता अट्ठारसकंमकारणा जाइयंगमंगा कलुणा सुक्कोट्ठकंठगलकतालुजीहा जायंता पाणीयं विगयजीवियासा तहादिता वरागा तंपिय ण लभंति वज्झपुरिसेहिं घाडियंता तत्थ य खरफरुसपडहघट्टितककूडग्गहगाढरुट्ठनिसट्ठपरामुट्टा वज्झकरकुडिजुयनियत्था सुरत्तकणवीरगहियविमुकुलकंठेगुणवज्झदूतआविद्धमल्लदामा मरणभयुष्पण्ण-सेदआयतणेहुत्तुपियकिलिन्नगत्ता चुण्णगुंडियसरीरर- यरेणुभरियकेसा कुसुंभगोक्किन्त्रमुद्धया छिन्नजीवियासा धुनंता वज्झयाण भीता तिलं तिलं चेव छिज्ज्रमाणा सरीरविक्किन्तलोहिओलित्ता कागणिमंसाणि खावियंता पावा खरफरुसएहिं तालिज्जमाणदेहा वातिकनरनारिसंपरिवुडा पेच्छिज्जंता य नागरजणेण वजअझनेवत्थिया पणेज्जति नयरमज्झेण किवणकलुणा अत्ताणा असरणा अणाहा अबंधवा बंधुविप्पहीणा विपिक्खिता
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