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प्रियदर्शिनी टीका अ0 ३६ अप्कायजीवनिरूपणम् ___ अपाम्-अब्जीवानाम् उत्कृष्टिका उत्कृष्टा आयुः स्थितिः वर्षाणां सप्तसहस्राण्येव भवति । जन्यिका-जघन्या तु अन्तर्मुहूर्तम् ।।८९।।९०॥९१॥९२।। अनादि और अनंत है। (ठिई-स्थितिं प्राप्य) भवस्थिति एवं कायस्थिति की अपेक्षासे (साईया वि य सपज्जवसिया-सादिकाः अपि च सपर्यवसिताः) सादि और सांत है। इन (अपाम् ) जलजीवोंकी (आउठिईआयुः स्थिति) आयुः स्थिति ( उक्कोसा-उत्कृष्टिका) उत्कृष्ट (वासाणं सत्तेव सहस्साइं-वर्षाणां सप्तैव सहस्राणि) सातहजार वर्षकी होती है। तथा (जहनिया-जघन्यिका) जघन्य (अंतोमुहुत्त-अन्तर्मुहूर्तम् ) अन्तर्मु. हूर्तकी होती है। तथा (तं कायं अमुंचओ आऊणं-तं कायं अमुश्चताम् अपाम् ) उस जलकायरूप शरीरको नहीं छोड़ते हुए अर्थात् मर२ कर बार२ वहीं पर जन्म धारण करते हुए इन अप्काय जीवोंकी (कायठिईकायस्थितिः) कायस्थिति ( उक्कोसं अणंतकालं-उत्कृष्टा असंख्यकालम् ) उत्कृष्ट असंख्यातकाल प्रमाण है अर्थात्-असंख्यात लोकाकाश प्रदेश प्रमाण उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी कालरूप है । तथा-(जहन्निया-जधन्यिका) जघन्य कायस्थिति (अंतोमुहुत्त-अन्तर्मुहूर्तम् ) अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है। (सए काए विजढम्मि-स्वके काये त्यक्ते) अपने शरीरके छोड़ने पर पुनः उसी शरीरको ग्रहण करनेका (अंतरं-अन्तरम् ) अन्तर (आऊ जीवाण-अब् जीवानाम् ) अप्काय जीवोंका (उक्कोसं-उत्कृष्टम् ) उत्कृअपि च अपर्यवसिता! Aaula अने मत छ. ठिई एप्प-स्थितिं प्राप्य मपस्थिति भने यस्थितिनी अपेक्षाथी साईया सपज्जवसिया-सादिकाः सपर्यवसिताः साह मन सांत छ. २मा वानी आउठिई-आयुः स्थितिः आयु स्थिति उक्कोसाउत्कृष्टिका उत्कृष्ट वासाणं सत्तेवसहस्साई-वर्षाणां सप्तैव सहस्राणि सात १२ वर्ष की आय छ तथा जहन्निया-जघन्यका धन्य अंतोमुहुत्त-अन्तहर्मुतम् त. भुत नी य छे तथा तं कायं अमुंचओ आऊणं-तं कायं अमुञ्च ताम् अपामू તે જળકાયરૂપ શરીરને ન છેડતાં અર્થાત્ મરી મરીને વાર વાર ત્યાં જ જન્મ धा२९ ४शन से माय वानी कायठिई-कायस्थितिः जयस्थिति उक्कोसं अणंतकाल-उत्कृष्टा असंख्यकालम् 6ष्ट मसच्यात ७ प्रमाण छ मर्थात અસંખ્યાત કાકાશ પ્રદેશ પ્રમાએ ઉત્સર્પિણી અને અવસર્પિણી કાળરૂપ છે. तथा जहन्निया जघन्यिका धन्य आयस्थिति अंतोमुहुत्तं-अन्तर्मुहूर्त अतभुत प्रभाए छे. सए काए विजढम्मि-स्वके काये त्यक्ते याताना शरीरने छ।ज्या पछी ५Aथी मे४ शरीरने अखए ४२वाना अंतरं-अन्तरम् अतर आऊ जीवाणअब् जीवानाम् ५५४१५ साना उक्कोसं-उत्कृष्टम् उत्कृष्ट ३५मा अणंतकालंउ० १०६
उत्तराध्ययन सूत्र :४