Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 418
________________ પરિશિષ્ટ ૧ ५४ પદ સ્થળ 1-36 २-२४ १२-४० ५-१४ ५-१५ १२-२७ 30-3 २८-30 પદાનુક્રમ સ્થળ સ્થળ अंतोमुहुत्तं जहनिया 33-१४, २१, २२; । अक्कोसा य वहा य मे अइगया बारगापुरि २२-२७ ६ -८०,८८,८८, ११३, १२२, अक्कोसेज्ज परो भिक्खु अइतिक्खकंटगाइणणे १४-५२ १३२, १४१, १५१, १७५, १७६, अक्खाया मारणंतिया अइमायं पाणभेयणं ૧૬-૧ર १८४, १८५, १८१, १८२,२००, अक्खाहिणे संजय ! जक्खपूइया अइयाओ नराहिवो २०-५८ २०१ अक्खे भग्गंमि सोयई अउलं सुहं संपत्ता 3६-६६ अंतोमुत्तमद्धं ३४-४५ अक्खे भग्गे व सोयई अउला मे अच्छिवेयणा २०-१८ अंतो लयणस्स सा ठिया २२-33 अगणिं व पक्खंद पयंगसेणा अउला हवइ वेवणा २-34 अंतो सिद्धाण आहियं 33-१७ अगारखो यनिस्सल्लो अउलो रूवविम्हओ २०-५ अंतोहिययसंभूया २३-४५ अगारिं च वियाणिया अंकुसेण जहा नागो २२-४६ अंधयारे तमे घोरे २३-७५ अगारिसामाइयंगाई अंके फलिहे य लोहियक्खे य 38-७५ अंधिया पोतिया चेव 3६-१४६ अगुणिस्स नत्थि मोक्खो अंगपच्चंगसंठाणं १६-४ अंसुपुण्णेहि नयणेहि २०-२८ अग्गिवणाई णेगसो अंगविजं च जे पउंजंति ८-१3 अकडं नो कडेत्तिय १-११ अग्गिहोत्तमुहा वेया अंगवियारं सरस्स विजयं १५-७ अकम्मकम्मभूमा य 3६-१८६ अग्गी चिट्ठइ गोयमा अंगलं सत्तरत्तेणं २६-१४ अकलेवरसेणिमुस्सिया १०-3५ आगी य इइ के वुत्ता अंगेण बाहिरेण व २८-२१ अकसाओ जिइंदिओ 30-3 अग्गी वा महिओ जहा अंडं बलागप्पभवं जहा य ३२-६ अकसायं अहक्खायं २८-33 ग्गी विव सव्वभक्खी भवित्ता अंतमुत्तम्मि गए 3४-६० अकाममरणं चेव ५-२ अचकिया केणइ दुप्पहंसया अंतमुहुत्तम्मि सेसए चेव 3४-६० अकाममरणं मई ५-१६ अचयंतो तहिं दिओ अंतरं तेसिमं भवे 38-१८६, अकाममरणाणि चेव य बहूणि उ६-२६१ अचिंतणं चेव अकित्तणं च १८३, २०२. अकामा जंति दोग्गइं ८-५३ अचिरकालकयंमिय अंतरद्दीवया तहा 3६-१८६ अकारिणोत्थ बझंति ५-30 अचिरेणेव कालेण अंतराए य कम्मम्मि 33-२० अकालं च विवज्जित्ता १-34 अचेलगस्सलुहस्स अंतरायं तहेव य 33-3 अकालियं पावइ से विणासं 3२-२४. 39 अचेलगो ये जो धम्मो अंतरेयं वियाहियं 3६-१४, १३४, ५०, ६3, ७3, ८८ अच्चणं रयणं चेव १४३, १५3 अकिंचणा उज्जुकडा निरामिसा १४-४१ अच्चंतकालस्स समूलगस्स अंतेउरवरगओ वरे भोए - अकिरियं परिवज्जए १८-33 अच्चंतनियाणखमा अंतोमुहुत्तं जहन्नगं 3६-१०२. अकुकुओ तत्थहियासएज्जा २१-१८ अच्चंतपरमो आसी अंतोमुहुत्तं जहन्नायं 3-८१, ८२, ८०, अकुक्कुओ निसीएज्जा २-२० अच्चि जाला तहेव य १०३, १०४, ११४, ११५, १२.3, अकोहणे सच्चरए ११-५ अच्चुयम्मि जहन्नेणं १२४, १33, १३४, १४२, १४३, अक्कोसवहं विइत्तु धीरे १५-3 अच्चेइ कालो तूरंति राइओ १५२, १५३, १६८, १.७७, १८६, अकोसा दुक्खसेज्जा य १४-3१ अच्चेमु ते महाभाग ! १८3, २०२, २४६ ૨૫-૧૬ २3-५० २३-५२ २५-१९ २०-४७ ११-३१ २५-१३ 3२-१५ २४-१७ ૧ ૪-પર २-३४ २३-१३-२८ 34-१८ 3२-१ १८-५२ २०-4 38-१०८ 38-233 13-39 १२-३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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