Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 430
________________ ઉત્તરયણાણિ ૯૫૯ પરિશિષ્ટ ૧:પદાનુક્રમ को णं ताहे तिगिच्छई? १८-७८ खवेइ तवसा भिक्खू 3०-१ गंडवच्छासुऽणेगचित्तासु ८-१८ को णाम ते अणुमनेज्ज एवं १४-१२ खवेइ नाणावरणं खणेणं 3२-१०८ गंडीमयसणप्पया उ६-१८० कोलाहलगभूयं ४-५ खवेत्ता पुवकम्माई २८-36 गंतव्वमवसस्स ते १८-१२ कोलाहलगसंकुला ९-७ खहयरा या बोद्धव्वा 3६-१७१ गंतव्वमवसस्स मे १५-१६ को वा से ओसहं देई? १४-७८ खाइत्ता पाणियं पाउं १९-८१ गंधओ जे भवे दुब्भी 38-२८ को वा से पुच्छई सुहं? १८-७८ खाइमसाइमं परेसि लड़े. १५-१२ गंधओ जे भवे सुब्भी 3६-२७ कोसं वड्डावइत्ताणं ४-४६ खाए समिद्धे सुरलोगरम्मे १४-१ गंधओ परिणया जे उ उ६-१७ कोसंबी नाम नयरी २०-१८ खाणी अणत्थाण उ कामभोगा १४-१३ गंधओ फासओ चेव 3६-२८ थी 33 को से भत्तं च पाणं च १८-७८ खामेमि ते महाभाग ! २०-५६ गंधओ रसओ चेव 38-3४ थी. ४६ कोसो उवरिमो भवे 36-१२ खाविओ मि समंसाई १८-६८ गंधओ रसफासओ उ६-८3,८१, १०५, कोहं असच्चं कुव्वेज्जा १-१४ खिप्पं न सक्केइ विवेगमेउं ४-१० ११६, १२५, १3५, १४४, कोहं च माणं च तहेव मायं 3२-१०२ खिप्पं निक्खमसू दिया २५-30 १५४, १६८, १७८, १८७, कोहविजएणं भंते ! जीवे.... २८ सू०६८ खिप्पं मयविवडणं १६-७ १८४, २०३, २४७ कोहा वा जइ वा हासा २५-२३ खिप्पं संपणामए २३-१७ गंधमल्लविलेवणं २०-२८ कोहे माणे य मायाए २४-८ खिप्पं से सव्वसंसारा 3१-२१ गंधवासाण पिस्समाणाणं ३४-१७ कोहो य माणो य वहो य जेसि १२-१४ खिप्पं हवइ सुचोइए १-४४ गंधस्स घाणं गहणं वयंति 3२-४८ ख खिप्पमागम्म सो तर्हि १८-६ गंधाणुगासाणुगए य जीवे ३२-५७ खंजणंजणनयणनिभा 3४-४ खीरदहिसप्पिमाई 3०-२६ गंधाणुरत्तस्स नरस्स एवं उ२-५८ खंडाई सोल्लगाणि य १४-६८ खीरपूरसमप्पभा ३४-८ गंधाणुवाएण परिग्गहेण ૩૨-૫૪ खंति निउणपागारं ८-२० खीररसो खंडसक्कररसो वा 3४-१५ गंधारेसु य नग्गई १८-४५. खंति सेविज्ज पंडिए १-८ खीरे घयं तेल्ल महातिलेसु १४-१८ गंधे अतित्तस्स परिग्गहे य उ१-५६ खंतिक्खमे संजयबंभयारी २१-१३ खुड्डेहिं सह संसगिंग १-८ गंधे अतित्ते य परिग्गहे य ૩૨-૫૫ खंतिसोहिकरं पयं १-२८ खुद्दो साहसिओ नरो उ४-२१, २४ गंधे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो ૩ર-પ૭ खंतीए णं भंते ! जीवे कि... २४-४७ खुरधाराहिं वावाइओ १८-५८ गंधे विरत्तो मणुओ विसोगो 3२-६० खंतीए मुत्तीए २२-२६ खुरेहिं तिक्खधारेहि १८-६२. गंधेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं 3२-५० खंतो दंतो निरारंभो २०-३२, ३४ खेडे कब्बडदोणमुह 3०-१६ गंभीरे सुसमाहिए २७-१७ खंधा य खंधदेसा य 3६-१० खेत्तं गिहं धणधन्नं च सव्वं १३-२४ गच्छई उ परं भवं १८-१७ खंधा य परमाणुणो उ8-११ खेत्तं वत्थं हिरण्णं च 3-१७.१८-१६ गच्छई मिगचारियं १५-८१ खज्जूरमुद्दियरसो 3४-१५ खेत्ताणि अहं विइयाणि लोए १२-१३ गच्छंति अवसा तमं ७-१० खड्डया मे चवेडा मे १-3८ खेमं च सिवं अणुत्तरं १०-३५. गच्छंतो सो दुही होई १८-१८, १८ खणं पि न रमामहं १८-१४ खेमं सिवं अणाबाहं २३-८3 गच्छंतो सो सुही होई १६-२०, २१ खणं पि मे महाराय ! २०-30 खेमं सिवमणाबाह २३-८० गच्छ क्खलाहि किमिहं ठिओसि? खणमेत्तसोक्खा बहुकालदुक्खा १४-१३ खेमेण आगाए चंपं २१-५ गच्छ पुत्त ! जहासुहं ૧૯-૮૫ खत्तिए परिभासइ १८-२० खेलं सिंघाणजल्लियं २४-१५ गच्छसि मग्गं विसोहिया १०-२ खत्तियगणउग्गरायपुत्ता १५-८ खेल्लंति जहा व दासेहिं ८-१८ गच्छामि रायं ! आमंतिओ सि १3-33 खमावणयाए णं भंते जीवे किं...२८ २०१८ खेवियं पासबढेणं १४-५२ गच्छे जक्खसलोगयं ५-२४ खरा छत्तीसईविहा 38-७२ गत्तभूसणमिटुं च १६-१३ खलुंका जारिसा जोज्जा २७-८ गइप्पहाणं च तिलोयविस्सुयं १८-८७ गद्दभालिस्स भगवओ १८-१८ खलुंके जो उ जोएइ २७-3 गइलक्खणो उ धम्मो २८-८ गद्दभाली ममायरिया १८-२२ खलुंकेहि समागओ २७-१५ गई तत्थ न विज्जई २३-६६ गब्भवक्कंतिया जे उ 38-१८६ खवणे य जए बुहे 33-२५ गई सरणमुत्तमं २3-६८ गब्भववंतिया तहा 3६-१७०, १८५ खवित्ता पुव्वकम्माई २५-४३ गंठिभेए य तक्करे ८-२८ गमणे आवस्सियं कुज्जा ૨૬-૫ खवित्त कम्मं गइमुत्तम गमा ११-३१ गंठियसत्ताईयं 33-१७ गयण चउब्भागसावसेसंमि ૨૬-૨૦ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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