Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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ઉત્તરઝયણાણિ
૧૦૩૭
પરિશિષ્ટ ૭ઃ ટિપ્પણ-અનુક્રમ
टि.संध्या
શબ્દ વગેરે वंदणएणं...णिबंधइ (२९।११) वच्छल्ल (२८।३१) वज्जभीरू (३४।२८) वज्जरिसहसंघयणो (२२।६) वज्झमंडणसोभागं (२११८) वणचारिणो (३६।२०५) वण्ण....बहुमाणयाए (२९।५) वणस्सईजीवा (३६।९२) वहिपुंगवो (२२।१३) वत्थ पडिलेहा (२६।२४-२८) वत्थु (३३१७) वद्धमाणगिहाणि (९।२४) वयणप्पभूया (१३।१२) वरं मे... (१।१६) वरिससओवमे (१८।२८) वल्लराणि (१९८०) वह (१९।३२) वहपरीसहे (२।२६, २७) वहमूलिया (७/१७) वाउजीवा (३६।११७) वाडेहिं पंजरेहिं (२२।१४-२२) वाणमंतरा (३६।२०४) वायणाए (२९।२०) वारि जलुत्तमं (२३।५१) वारेज्जा (२०११) वासिट्टि ! (१४।२९) वासीचंदणकप्पो (१९९२) वाहिन्तो (१२१९) वाहीरोगाण (१९।१४) विउला सिक्खा (७१२१) विउले देहे आएसं परिकंखए (७२) विउस्सग्गो (३०३६) विधई (२७४) विकोविए (२११२) विगईओ (१७।१५) विगयभया (१।२९) विगलिंदियया (१०।१७) विगहा (३१/६) विगिंच (३।१३) विगिटुं तवं (३६।२५४)
ટિસિંખ્યા શબ્દ વગેરે
१६ विचित्तं तवं (३६।२५२) २५ विज्जा (१८.३१) १३ विज्जाणुसासणं (६।१०)
५ विज्जुसोयामणिप्पभा (२२१७) ८ विणओ (३०।३२) २४ विणओ... (१७३१)
६ विणयं (१११, १८।२३) १८ विणयजुत्तस्स (१।२३) १४ विणियट्टणयाए (२९।३३) १८ वितिगिच्छा (१६। सू०३) २८ वित्तेण ताणं... (४५) २८ विपरियासुवेइ (२०४६)
७ विप्पसण्णं (५।१८) 30 विप्पसीएज्ज (५/३०) १६ विप्पा....दिया (२५।७, ८) ५६ विमोहाई (५।२६)
२१ वियडस्सेसणं (२।४) ५१,५२ वियारे (३२।१०४)
२६ विरई अबंभचेरस्स (१९।२८) २० विरओ (२।४२) १५ विव (१९५७) २४ विवित्तलयणाइ (२१।२२) २६ विवित्तसयणासणं (३०१२८) २५ विवित्ताहारे (२९।३२) १७ विवेगमेउं (४।१०) २3 विसओववन्नो (२०४४) ६२ विसभक्खीणि (२३।४५) उप विसमसीला (४।१९) १४ विसारए (२७१) २८ विसालिसेहि... (३३१४)
५ विसूइया (१०।२७) १६ विसोहिया (१०॥३२) १० विस्संभिया (३।२)
3 विहम्ममाणो (२७३) १७ विहारं (१४७, २६।३५) ४८ वीयरागयाए (२९।४६) १० वीरजायं (२०४०) २१ वुक्कसं (८।१२) ५ वुग्गहे कलहे (१७/१२)
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