Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 509
________________ ઉત્તરાયણાણિ ૧૦૩૮ પરિશિષ્ટ ૭: ટિપ્પણ-અનુક્રમ ટિસિંખ્યા શબ્દ વગેરે वुच्छामु (१३३१९) वुसीमओ (५।१८) वेमायाहिं सिक्खाहि (७।२०) वेयणिज्जे....ठिई (३३।१९-२०) वेयणीयं (३३७) वेयवियाऽयरक्खिए (१५।२) वेयावच्चं (२९।४४) वेयावडिय (१२२२४) वेराणुबद्धा (४।२) वेरुलिए (३६१७६) वेसं (१२२८) वेसालिए (६।१७) वोच्चत्थे (८1५) वोछिंद सिणेहमप्पणो (१०।२८) वोदाणेणं (२९।२९) वोसट्टकाओ (१२।४२) स संकरदूसं परिहरिय (१२।६) संका (१६। सू०३) संखचक्कगया (११।२१) संखया (४।१३) संग (१८५३) संगहेण य थावरे (२५।२२) संगो...इथिओ (२।१६) संघाडि (५।२१) संघायणिज्जे (२९।६०) संचिक्ख (२।३३) संजमबहुले (१६। सू०१) संजले (२२२६) संजोगा विप्पमुक्कस्स... (१।१) संतत्तभावं परितप्पमाणं (१४।१०) संतरुत्तरो (२३।१३) संतितित्थे (१२॥४५) संतिमग्गं (१०/३६) संथवं (१५।१) संथवे (२१।२१) संथारए अणाउत्ते (१७१४) संधिमुहे (४३) संधीसु (१।२६) ટિ સંખ્યા શબ્દ વગેરે १२ संपन्ने (१२) २७ संभोगपच्चक्खाणेणं (२९/३४) २८ संमुच्छिमा य मणुया (३६।१९५) ८ संलिहे मुणी (३६।२५०) १ संलेहणा (३०।१२, १३) ८ संविग्गो (२१।९) ५५,१३ संवरबहुले (१६। सू०१) 3१ संवेगेणं ..... निव्वेएणं (२९।२-३) ६ संवुडे (१।३५) १५ संसारचक्कस्स (१४।४) ४७ सकवाडं (३५।४) 3७ सकम्मसेसेण (१४।२) ८ सकाममरणं (५।२, ३) १८ सक्कार पुरक्कार (२२३८) 3८ सच्चरए (११।५) ४५ सच्चसोय... (१३।९) सज्झाएणं (२९।१९) १० सज्झाओ पंचहा (३०३४) ५ सट्ठिहायणे (११।१८) 30 सढे (५९) 33 सद्द (२८/१२) उ४ सद्धा (३३१,९) १८ सन्त्राणं (३११६) २४ सन्निरुद्धमि आउए (७।२४) 33 सन्निहिं च न...लेवमायाए (६।१५) ६७ सपेहाए (६४) ६१ सब्भावपच्चक्खाणेणं (२९।४२) ४ समचउरंसो (२२।६) ४७ समणं (२।२७) १ समण.... मुणी (२५।३०) ११ समणो बंभणो.... (२५/३०) ११ समणो संजओ बंभयारी (१२।९) ४८ समयं (१।३५) २७ समयखेत्तिए (३६७) ५ समरेव (२।१०) २४ समरेसु (१।२६) १६ समागओ (२७/१५) ७ समाहिजोएहिं (८।१४) ४५ समाहिबहुले (१६। सू०१) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532