Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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પરિશિષ્ટ ૨
ઉપમાઓ અને દેખાતો
ઉપમાઓ गलियस्सेव कसं कसं व दट्ठमाइण्णे गलियस्से व वाहाए भूयाणं जगई जहा कालीपव्वंगसंकासे नागो संगामसीसे वा पंकभूया उ इथिओ घयसित्त व्व पावए महासुक्का व दिप्पंता दीवप्पणटे व भारण्डपक्खीव आसे जहा सिक्खियवम्मधारी दुहओ मलं संचिणइ, सिसुणागु ब्व मट्टियं धुत्ते व कलिना जिए पक्खी पत्तं समादाय कुसागमेत्ता बज्झई मच्छिया व खेलमि तरंति अंतरं वणिया व निज्जाइ उदगं व थलाओ आसीविसोवमा अबले जह भारवाहए आसे जवेण पवरे जहाइण्णसमारूढे जहा करेणुपरिकिण्णे, कुंजरे सद्विहायणे वसहे जूहाहिवई सीहे मियाण पवरे अण्पडिहयबले जोहे जहा से चाउरते चक्कवट्टी महिड्डिए जहा से सहस्सक्खे, वज्जपाणी पुरंदरे जहा से तिमिरविद्धसे, उत्तिटुंते दिवायरे जहा से उडुवई चंदे जहा से सामाइयाणं कोट्टागारे जहा सा दुमाण पवरा, जंबू नाम सुदंसणा जहा सा नईण पवरा जहा से नगाण पवरे, सुमहं मंदरे गिरी जहा से सयंभूरमणे समुद्दगंभीरसमा
अगणि व पक्खंद पयंगसेणा १/१२ जहेह सीहो व मियं गहाय १/१२ नागो जहा पंकजलावसनो १/३७ जहा य अग्गी अरणीउसंतो ૧/૪૫ खीरे घयं
२/3 तेल्ल महातिलेसु २/१० पंखा विहूणो व्च जहेह पक्खी २/१७ भिच्चा विहूणो ब्व रणे नरिंदो 3/१२ विवन्नसारो वणिओ व्व पोए 3/१४ जुण्णो व हंसो पडिसोत्तगामी ४/५ जहा य भोई ! तणुयं भुयंगो, ४६ निम्मोयणि हिच्चे पलेइ मुत्तो ४/८ छिदितु जालं अबलं व लोहिया, मच्छा जहा... ५/१० नहेव कुंचा समइक्कमंता, तयाणि जालाणि दलित्तु हंसा ५/१६ पक्खिणि पंजरे वा ६/१५ गिद्धोवमे ७/२४ उरगो सुवण्णपासे व ८/५ नागो व्व बंधणं छित्ता, अप्पणो वसहि वए ८/६ विसं तालउडं जहा ८/८ विसमेव गरहिए ૯ ૫૩ अमयं व पूइए १०/33 विज्जुसंपायचंचलं ११/१६ उम्मत्तो व्व महिं चरे ११/१७ देव दोगुंदगे चेव ११/१८ विसफलोवमा ११/१८ फेणबुब्बुयसन्निभे ૧૧ ૨૦ जहा किपागफलाणं परिणामो न सुंदरो ११/२१ गुरुओ लोहभारो व्व ११/२२ आगासे गंगसोउ व्व पडिसोओ व्व दुत्तरो ११/२3 बाहाहि सागरो ११/२४ वाल्याकवले ११/२.५. असिधारागमणं ११/२६ अहीवेगंतदिट्ठीए ११/२७ जवा लोहमया ૧૧ ૨૮ जहा अग्गिसिहा दित्ता ११/२८ जहा दुक्खं भरेउं जे होइ वायस्स कोत्थलो ११/30 जहा तुलाए तोलेउं, दुक्करं मंदरी गिरी ११/३१ जहा भूयाहि तरिउं, दुक्करं रयणागरो
૧૨ ૨૭ ૧૩/૨૨ १3/30 १४/१८ १४/१८ १.४/१८ १४/30 १४/30 १४/30 १४/33 १४३४ १४.36
१४३ १४/38 १४४१ १४.४७ १४.४७ १४४८ १६/13 ૧૭ ૨ १७२१ १८/१३ ૧૮૫૧
१८/3 १८११ १८.१३ १८१७ ૧૯૩૫ ૧૯ ૩૬ १८/38 ૧૯૩૭ १४/39 १८3८ - १५/30 १४/36 ૧૯૪૦ १९४१ ૧૯૪૨
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