Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 444
________________ ઉત્તરઝયણાણિ ८७3 પરિશિષ્ટ ૧ : ૫દાનુક્રમ निम्ममत्तं सुदुक्करं १८-२८ निहंतूण उवायओ २३-४१ नो रक्खसीसु गिज्झेज्जा ८-१८ निम्ममो निरंहकारो १८-८९: 3५-२१ निहियं दुहओ वि विरायइ ११-१५ नोवलिप्पइ वारिणा ૨૫- ૨૬ निम्मोयणि हिच्च पलेइ मुत्तो १४-३४ नीया तंतवगाविय उ६-१४८ नो विभुसाणुवाई हवइ, से निग्गंथे १६सू०११ नियगाओ भवणाओ २२-१३ नोयावित्ती अचवले ११-१० नो वि य वंदणगं कुओ पसंसं ૧૫-૫ नियडिल्ले अणुज्जुए ३४-२५ नीयावित्ती अचवले ३४-२७ नो सक्कियमिच्छई न पूर्य ૧પ-૫ नियंठधम्म लहियाण वी जहा २०-3८ नोललेसं तु परिणमे ३४-२४ नो सद्दरूवरसगंधफासाणुवाई हवइ.... नियत्तेज्ज जयं जई २४-२१, २३, २५ नोललेसा उ वण्णओ उ४-५ ૧દસૂત્ર ૧૨ नियत्तो हाससोगाओ १८-८१ नीलासोगसंकासा 3४-५ नो सुजहा अधीरपुरिसेहिं नियाणमसुहं कडं १३-२८ नीहरंति मयं पुत्ता १८-१५ नो हीलए नो वि य खिसएज्जा १८-८3 निरंगणे सव्वओ विष्पमुक्के २१-२४ नीहारिमणीहारि 3०-१३ नो हीलए पिंडं निरसंतु १५-१३ निगम्मि विरओ १-४२ नीहासा य निराणंदा ૨૨-૨૮ निखसोया परियावमेइ २०-५० नेच्छई सामुदाणियं १७-१८ पइण्णगं दिट्ठिवाओ य २८-२३ निराणि उवज्जए १-८ नेयाउयं दद्रुमदद्रुमेव ४-५ पइण्णवाई दुहिले ११-८ निरट्ठिया नग्गरुई उ तस्स २०-४८ नेयारिसं दुत्तरमत्थि लोए ३२-१७ पइरिक्कुवस्सयं लद्धं २-२३ निरवकंखा बिइज्जिया 30-८ नेरड्यतिरिक्खाउ 33-१२ पइरिक्के परकडे वा ३५-६ निवेक्खो परिव्वए E-१५ नेरइयतिरिक्खा य 3६-१५५ पउंजेज्ज इमं विहि २४-१३ निरस्साए उ संजमे १५-3७ नेरइयाणं तु अंतरं 38-१६८ पएसग्गं खेत्तकाले य 33-१६ निरासवे संखवियाण कम्म २०-५२ नेरइयाणं वियाहिया 38-१६७ पएसग्गमणंतगं 33-१७ निरोवलेवाइ असंथडाई २१-२२ नेरड्या सत्तविहा 3६-१५६ पओगकाले य दुही दुरंते ३२-३१, ४४, ५७, निवडइ राइगणाण अच्चए १०-१ नेव किच्चाण पिट्टओ ૧-૧૮ ७०,८३,८६ निवेसइ निवज्जई २७-५ नेव कुज्जा कयाइ वि १-१७ पंकभूया उ इथिओ २-१७ निव्वत्तई जस्स कएण दुक्खं 32-3२,४५, नेव कुज्जा परिग्गहं २-१८ पंकाभा धूमाभा 38-१५७ ५८, ७१, ८४, ८७ नेव चिट्टे न संलवे १-२६ पंकेण व रएण व २-38 निव्वत्तयंती अमणुत्रयं वा २-१०६ नेव ताणायं तं तव १४-36 पंखाविहूणो व्व जहेह पक्खी १४-30 निव्वाणं च न गच्छड़ ११-६ नेव पल्हत्थियं कुज्जा १-१८ पंच जिए जिया दस २3-36 निव्वाणं ति अबाहंति २३-८3 नेव सेज्जागओ कया १-२२ पंचमं कुसतणाणि य ૨૩-૧૭ निव्वाणं परमं जाइ 3-१२ नेहपासा भयंकर २३-४३ पंचमम्मि जहनेणं 3६-२३८ निव्वाणमग्गं विरइ उवेइ २१-२० नो अइमायाए पाणभोयणं आहरेत्ता पंचमहव्वयजुत्तो १८-८८ निव्वावारस्स भिक्खुणो -१५ १६ सू० १० पंचमहव्वयधम्म २३-८७ निविण्णकामो मि महण्णवाओ १९-१० नो इंदियग्गेज्झ अमुत्तभावा १४-१८ पंचमाए जहन्नेणं 38-१६४ निविण्णसंसारभया जहाय १४-२ नो इत्थीणं इंदियाई.... १६-९०६ पंचमा छंदणा नाम २१-3 निव्वितिगिच्छा अमूढदिट्ठी य २८-3१ नो इत्थीणं कहं कहित्ता हवइ... १६ सू०४ पंचमा होइ नायव्वा 33-4 निव्विसया निरामिसा १४-४८ नो इत्थीणं कुडुतरंसि वा.... १६ सू०७ पंचमुट्ठीहिं समाहिओ २२-२४ निव्वेएण भंते ! जीवे कि..... २८ २० 3 नो इत्थीहिं सद्धि.... १६ सू०५ पंचमो छ?ओ पइण्णतवो 3०-११ निसंते सियाऽमुहरी १-८ नो एणं पडिवज्जए 3-१० पंचलक्खणए तुम १८-४३ निसग्गुरूइ त्ति नायव्वो २८-१८ नोकसायं तहेव य 33-१० पंचविहमंतरायं ૩૩-૧૫ निसग्गवएसई २८-१६ नो ताहि विणिहन्नेज्जा २-१७ पंचविहा जोइसिया ૩૬-૨૦પ निसन्नं रुक्खमूलम्मि २०-४ नो तेसिं वयइ सिलोगपूयं १५-६ पंचविहे कामगुणे १६-१० निसीएज्जप्पकुक्कए १-30 नो तेसिमारंभे दंडं ८-१० पंचसमिओ तिगुत्तिगुत्तो य १८-८८ निसेज्जं पायकंबलं १७-७ नो निग्गंथे पुव्वरयं पुव्वकीलियं पंचसमिओ तिगुत्तो 30-3 निस्संकिय निक्कंखिय २८-३१ अणुसरित्ता हवइ... १६ सू०८ पंचहाणुत्तरा सुरा 38-२१६ निस्संगो चत्तगारवो १९-८८ नो पणीयं आहारं आहरित्ता हवइ... पंचहा जलयराहिया 38-१७२ निस्संसो अजिइंदिओ ३४-२२ १६ सू०८ पंचहा जोइसालया उ६-२०८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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