Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 442
________________ ઉત્તરયણાણિ नक्खत्ताणं मुहं जंच नक्खत्ताण मुहं बूहि न गच्छई सरणं तम्मि काले नगरस्स खेमं काऊणं न गेण्ह अदत्तं जो न चाइया खोभइउं तिगुत्ता न चिट्ठे गुरुणंतिए न चित्ता तायए भासा नच्चा उप्पइयं दुक्खं नच्चा कम्मविवागयं नच्चा नमइ मेहावी न छिंदे न छिंदावए न जंपियं इंगियपेहियं वा न जीवियट्ठा पजहामि भोए न जुंजे ऊरुणा ऊरु नट्टेहि गीएहि य वाइएहिं न तं अरी कंठछेत्ता करेइ न तं तायंसि दुस्सीलं न तं सुदिनं कुसला वयंति न तं सुहं कामगुणेसु रायं न तस्स दुक्खं विभयंति नाइओ न तस्स माया व पिया व भाया न तस्स सव्वे वि मणुन्नयं वा न ताओ मणसीकरे न तुज्झ भोगे चइऊण बुद्धी न तुमं जाणे अणाहस्स न ते किंचि न अच्चिमो न ते तुमं वियाणासि न ते पीला भविस्सई न तेसि पडिसंजले न तेसिपीहए मुणी न तेसु भावं निसिरे कयाइ न तेसु भिक्खू मणसा पउस्से नथ अमोक्खस्स निव्वाणं नत्थि किंचि अजाइयं नत्थि चरितं सम्मत्तविहूणं नत्थ जीवस्स नात्ति नत्थ जोइसमे सत्थे नत्थनृणं परे लोए नदीसई जाइविसेस कोई न निक्कसिज्जइ कण्हुई न निण्हविज्ज कयाइ वि न निरटुं न मम्म Jain Education International ૨૫-૧૧ न निविज्जंति संसारे २५- १४ न निसीएज्ज कयाइ वि २०-४५ नन्नट्टं पाणहेउं वा ८-२८ नन्नेसिं चक्खुफासओ २५-२४ ૩૨-૧૬ १-१८ न पये न पयावए ६-१० न पाए होइ हु संपराए २- ३२ नपुंसवेयं विविहे य भावे २-४१ न बंधवा बंधवयं उवेंति १-४५ २-२ ૯૭૧ न पए न पयावए न पक्खओ न पुरओ ३२-१४ १४-३२ न बंभयारिस्स खमो निवासो न बंभयारिस्स हियाय कस्सई न भिक्खुणो मग्गमणुव्वयामो नर्मिमि अभिणिक्खमंतंमि १-१८ न मित्तवग्गा न सुया न बंधवा १३-१४ नमी नमेइ अप्पाणं नमी राया विदेहेसु २०-४८ २५-२८ १२-३८ १३-१७ १३-२३ ૧૩-૨૨ न मे एवं तु निस्सेसं ३२- १०६ न मे गच्छइ नुम्मग्गं २-२५ न मे डज्झइ किंचण 13-33 न मे दिट्ठे परे लोए २०-१६ न मे निवारणं अस्थि १२- ३४ नमो ते संसयाईय ! ४-४ ३२-१३ ३२-११ १३-३० ए-4 १३-२३ ८-६१ १८-४५ २०-४७ ૨૫-૨૯ २०-३८ ३२-१३ ૨૨-૧૯ ૨૩-૫૬ ८-१४ 4-4 २-७ २३-८५ न य ओहारिणि वए १-२४ नय कोऊहलं उवेइ स भिक्खू १५-६ ૧૨-૧૬ न य णं दाहामु तुमं नियंठा ! नय दुक्खा विमोएइ २०-२४, २५, २० नय दुक्खा विमायंति २०-२३, २६, २७ न य पावपरिक्खेवी ११-१२ न य मम्ममुदाहरे ११-४ ૧૧-૧૨ नय मित्तेसु कुप्पई न य वित्तासए परं २-२० नयामन्त्रेसु मणं पि कुज्जा ૩૨-૨૧ न यापि पूयं गरहं च संजए २१-१५, २० नयापि भोगा पुरिसाण निच्च १३-३१ न यावि भोगा विगई उवेंति ૩૨-૧૦૧ नए उववज्जई ७-२८ १८-१० १८-७३ न मुंबई किंचि अणेसणिज्जं न मुणी रण्णवासेणं न मूलओ छिंदइ बंधणं से न मूसगाणं वसही पसत्था 3-4 १-२१ २५-१० 9-33 २-२ १-१८ ३५-१० २०-४१ ૩૨-૧૦૨ ૨૫-૧૨ २२-३७ १२-२४ २-३८ ૩૨-૨૧ ४-११ २८-३० २-२८ ૨૮-૨૯ २-२७ ૩૫-૧૨ २-४४ १२-३७ १-७ १-११ नरए दुक्खं च तिरिक्खजोणिसु नरएस दुक्खवेयणा १-२५ For Private & Personal Use Only नरएसु वि एगया रसुवेइया ए नर नर वेयणा उहा वेयणासीया પરિશિષ્ટ ૧ : પદાનુક્રમ नरगतिरिक्खत्तणं धुवं नरगाओ न मुच्चई नरनारिं पजहे सया तवस्सी नरसट्ठाए भुंजिज्जा ७-१६ ५-२२ १५-६ ३५-१७ १६-१३ ९-४८ ३२-१२ १३-१५ १३-१८ ૧૨-૨૧ ३२-१४ न लवेज्ज भुट्टो सावज्जं १-२५ न लिप्पई तेण मुणी विरागो ३२-२६, ३८, ५२, ६५, ७८, ८१ .32-0, 93, ८६, ८८ ३२-३४, ४७ न लिप्पई भवमज्झे वि संतो नरस्सत्तगवेसिस्स नरस्स लुद्धस्स न तेहि किंचि नरागसत्तू धरिसेइ चित्तं नहि कामगुणेसु गिद्धं नरिंद ! जाई अहमा नराणं नरिंददेविंदभिवंदिएणं नरूवलावण्णाविलासहासं न लिप्पए भवमज्झे वि संतो नवणीयस्स व सिरीसकुसुमाणं नवमम्मि जहन्नेणं 3-3 १८-७२ १८-४७ १७-४८ नवरं पुण समा नवहि वरिसेहि ऊणा न वा लभेज्जा निउणं सहायं न वि कस्सवि उववाओ नवि जन्नाण जं मुहं नवि जाणसि वेयमुहं न विज्जई अन्नमिहेह किंचि न विनिव्वहणाय वा वि मुंडिएण समो न विरुट्ठो न वि तुट्ठो न विसा मज्झ दाहिई न वीएज्जा य अप्पयं ३४-१८ उ६-२४२ १८-७५ ३४-४६ ३२-५ ३४-५८, ५८ २५-११ २५-११ १४-४० २५-१० २५-२८ २५-८ २७-१२ न वीयरागस्स करेंति किंचि न वीरजायं अणुजाइ मग्गं नवीससे पंडिए आसुपत्रे २-८ ३२- १०० २०-४० ४-६ न संतसंति मरणंते ५-२८ न संतसे न वारेज्जा २-११ न सयं गिहाई कुज्जा 34-2 न सव्वत्थ वियाहिया ३६-१३०, १३८, १93, ૧૮૨, ૧૮૯ www.jainelibrary.org

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