Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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ઉત્તરયણાણિ
૯૮૫
પરિશિષ્ટ ૧ :પદાનુક્રમ
१४-४
38-६८ 3६-४८, २४८
38-१७ 3२-१७
४-४ १४-१३ २२-39 १.८-१८ 33-१
२3-03 ૧૪-૫ १४-२
४-3 34-४
५-२ ५-३२ १.१-२३
संगामसीसे इव नागराया २१-१७ संतई पप्प तेणाई
38-१२ संसारचक्कस्स विमोक्खणट्ठा संगामे दुज्जए जिणे
-३४ संतत्तभावं परितप्पमाण १४-१० संसारत्था उ जे जीवा संगो एस मणुस्साणं
२-१६ संताणछिन्ना चरिस्सामि मोणं १४-४१ संसारत्था य सिद्धाय संचिक्खत्तगवेसए २-33 संति एगेहि भिक्खूहि
५-२० संसारपारनिच्छिना संचिक्खमाणो चरिस्सामि मोणं १४-३२ संतिमग्गं च बूहए १०-36 संसारभीरुस्स ठियस्स धम्मे संजए इरियं रिए २४-४ संतिमे य दुवे ठाणा
५-२ संसारमावन परस्स अट्टा संजओ अहमस्सीति १८-१० संती संतिकरे लोए
१८-3८ संसारमोक्खस्स विपक्खभूया संजओ चइउं रज्ज १८-१८ संतेए तहिया नव
२८-१४ संसारसागरं घोरं संजओ नाम नामेणं
१८-२२ संथवं जहिज्ज अकामकामे १५-१ संसार हेउं च वयंति बंधं संजओ परिवज्जए 34-3, संथवो चेव नारीणं १६-११ संसारे परिवत्तए संजओ सुसमाहिओ १२-२. संथारए अणाउत्ते
१७-१४ संसारो अइवत्तई संजमं निहुओ चर २२-४३ संथारं फलगं पीढं
१७-७ संसारो अण्णवो वुत्तो संजमं पडिवज्जिया 3-२० संथया ते पसीयंतु
२३-८५ सकम्मसीलस्स पुरोहियस्स संजमंमि य वीरियं
3-१ संधावई नरगतिरिक्खजोणि २०-४६ सकम्मसेसेण पुराकएणं संजममाणो वि अहं १८-२६ संधीसु व महापहे
१-२६ सकम्मुणा किच्चइ पावकारी संजमेणं भंते ! जीवे कि..... २८ २०२७ संपइ नेयाउए पहे
१०-3१ सकवाडं पंडुरुल्लोयं संजमेण तवेण य १-१६; १८-99; संपज्जलिया घोरा
२3-40 सकाममरणं तहा २५-४3; २८-३६ संपत्ते विरमेज्जा
२६-१८ सकाममरणं मरई संजमे य पवत्तणं
3१-२ संपत्तो केवलं नाणं उ५-२१ सके देवाहिवई संजयं सुसमाहियं
२०-४ संपिंडिया अग्गरसा पभूया १४-3१ सक्को माहणरूवेण संजयस्स तवस्सिणो २-३४ संबुद्धप्पा य सव्वत्रू २३-१ सक्खं सु दीसइ तवो विसेसो संजयाए सुभासियं २२-४६ संबुद्धा पुव्वसंथुया
१-४६ सक्खं सक्केण चोइओ संजयाणं च भावओ २०-१ संबुद्धो सो तर्हि भगवं २.१-१० सगरो वि सागरंतं संजयाणं तवस्सिणं
२३-१० संभोगकाले य अतित्तिलाभे उ२-२८, सगा जेट्ठकणि?गा संजयाण वुसीमओ ५-१८,२८
४१, ५४,६७, ८०,८3 सचेले यावि एगया संजायई समयमुवट्ठियस्स 3२-१०७ संभोगपच्चक्खाणेणं भंते! २८१० ४ सच्चसोयप्पगडा संजोगा य विभागा य २८-१3 जीवे...
१४-१८ सच्चामोसा तहेव य संजोगा विप्पमुक्कस्स १-१; ११-१ संमुच्छई नासइ नावचिट्ठ 3६-१८८ सच्चा मे भासिया वई संठाणओ भवे तंसे
38-४४ संमुच्छिमाण एसेव 3६-१८५ सच्चा मोसा तहेव य संठाणो भवे वट्टे
38-४3 संमुच्छिमा य मणुया २४-२१, २३, २५ सच्चेण पलिमंथए संठाणओ य चउरंसे उ६-४५ संरंभसमारंभे
उ६-२५१ सच्चे सच्चपरक्कमे संठाणओ य वित्रेओ 38-१५ संलेहुक्कोसिया भवे 3६-२५१ सज्झाएणं भंते ! जीवे.... संठाणपरिणया जे उ
3६-२१ संवच्छरं मज्झिमिया 38-११८ सज्झाए वा निउत्तणं संठाणादेसओ वावि ६-८3,८१,
२१-५ सज्झाओ पंचहा भवे १०५, ११६, १२५, संवडुई घरे तस्स
२८-१४ सज्झायएगतनिसेवणा य १३५, १४४, १५४, संवरो निज्जरा मोक्खो 3-११ सज्झायं चेव पंचहा १६८, १७८, १८७, संवुडे निद्भुणे रयं । २८ सू०२ सज्झायं तओ कुज्जा
१८४, २०३,२४७ संवेगेणं भंते ! जीवे कि.... -२६ सज्झायं तु चउत्थिए संतई पप्पणाईया 38-3८,८७, १०१, संसयं खलु सो कुणई १०-१५ सज्झायं पओसकालम्मि
१२१, १३१,१४०, संसरइ सुहासुहेहि कम्मेहि ८-१५ सज्झायज्झाणजुत्ते १५०, १५८, १७४, संसारं बहुं अणुपरियडंति ६-१, १२; २०- सड्डी काएण फासए १८3, १८०, १८८, संसामि अणंतए
उ१ सड्डी तालिसमंतिए २१८ संसारंमि दुक्खपउराए
८-१ सढे बालगवी वए
१२-38 ५-६१; १८-४४
१८-34
१४-१८
२-१३
१3-4 २४-२०, २२
૧૮-પર २४-२०, २२
८-२१ १८-२४ ૨૯ સૂટ ૧૯
૨૬-૧૦ 30-3४ 32-3
२४-८ २६-3६, ४४
२१-४३ २६-१८ १८-४ ५-२३ ૫-૩૧ ૨૭-૫
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